दो भाईयों में बंट जाएगा 127 साल पुराना गोदरेज,जानिए किसको क्या मिलेगा
मुंबई- देश के सबसे पुराने और बड़े कॉरपोरेट घरानों में शामिल गोदरेज परिवार दो भागों में बंटने जा रहा है। 59,000 करोड़ रुपये के कारोबार को बांटने के लिए आपसी समझौता किया गया है। आदि और नादिर एक साथ होंगे। जमशेद अलग होंगे। दोनों भाईयों की एक दूसरी कंपनियों में हिस्सेदारी है। अब इसे दोनों एक दूसरे को सौंप कर अलग होंगे।
आदि और नादिर गोदरेज एंड बॉयस के शेयर जमशेद और स्मिता को बेचेंगे। स्मिता और जमशेद गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और गोदरेज प्रॉपर्टीज में अपने शेयर आदि और नादिर को देंगे। रिशद अविवाहित हैं। उनके नहीं रहने पर उनकी संपत्ति परिवार के अन्य सदस्यों में बराबर-बराबर बंटेगी। दोनों पक्ष अपने-अपने कारोबार के लिए गोदरेज ब्रांड का इस्तेमाल करना जारी रखेंगे।
आदि गोदरेज के बेटे पिरोजशा गोदरेज इंडस्ट्रीज ग्रुप का नया चेहरा होंगे। वह अभी उपाध्यक्ष हैं। अगस्त 2026 में नादिर गोदरेज की जगह लेंगे। गोदरेज की नई पीढ़ी का सबसे अहम चेहरा पिरोजशा गोदरेज हैं। अभी वह गोदरेज के रियल एस्टेट कारोबार संभाल रहे हैं। समूह ने बयान में कहा, गोदरेज एंड बॉयस और उसकी सहयोगी कंपनियों पर अब जमशेद, स्मिता की बेटी नायरिका होलकर और उनके परिवार का नियंत्रण होगा।
गोदरेज इंडस्ट्रीज और अन्य चार सूचीबद्ध कंपनियों पर आदि, नादिर और उनके परिवार का नियंत्रण होगा। गोदरेज एंड बॉयस के तहत समूह की 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रियल एस्टेट संपत्ति को दोनों पक्षों के बीच बाद में बंटेगी। गोदरेज एंटरप्राइजेज में भविष्य का चेहरा नायरिका होल्कर होंगी। गोदरेज परिवार की चौथी पीढ़ी का प्रमुख चेहरा नायरिका होलकर पहले ही गोदरेज एंड बॉयस की कार्यकारी निदेशक हैं। वह जमशेद गोदरेज की भांजी हैं।
साबुन और घरेलू उपकरणों से लेकर रियल एस्टेट तक समूह का कारोबार है। गोदरेज एंड बॉयस में आदि, नादिर, जमशेद, स्मिता और रिशाद की करीब 10-10 फीसदी हिस्सा है। करीब 24 फीसदी हिस्सेदारी पिरोजशा गोदरेज फाउंडेशन (परिवार के परोपकारी ट्रस्ट) के पास है। 27 फीसदी हिस्सेदारी गोदरेज इन्वेस्टमेंट की है। पांचों लिस्टेड कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 2.4 लाख करोड़ रुपये है।राजस्व 41,750 करोड़ रुपये व मुनाफा 4,175 करोड़ रुपये है।
बंटवारे के बाद नादिर गोदरेज ने कहा कि गोदरेज की स्थापना 1897 में भारत के लिए आर्थिक स्वतंत्रता के निर्माण में मदद करने के लिए की गई थी। हम कारोबार पर फोकस करने के साथ इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। जमशेद गोदरेज ने कहा, गोदरेज एंड बॉयस हमेशा राष्ट्र निर्माण के मजबूत उद्देश्य से प्रेरित रहा है। अब इस पारिवारिक समझौते के साथ हम इसके विकास को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
आदि और नादिर गोदरेज को गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज, गोदरेज प्रॉपर्टीज और एस्टेक लाइफ साइंसेस को मिलाकर बनने वाले गोदरेज इंडस्ट्रीज की कमान मिलेगी। जमशेद गोदरेज और नायरिका होलकर को इंजीनियरिंग, होम अप्लायंसेस, फर्नीचर सुरक्षा उत्पाद, एरोस्पेस, इंडस्ट्रियल लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट वाली गोदरेज एंड बॉयस की कमान मिलेगी।
गोदरेज की शुरुआत 1897 में आर्देशर और पिरोजशा ने की। सर्जरी ब्लेड बनाने का पहला कारोबार, फिर ताला और चाबी का। 1951 में देश के पहले लोकसभा चुनाव में 17 लाख बैलेट बॉक्स बनाया।1955 में पहला भारतीय टाइपराइटर भी गोदरेज समूह ने बनाया
अर्देशिर ने अपने पिता के दोस्त से थोड़ी सी धनराशि उधार ली और सर्जिकल उपकरण बनाना शुरू किया। जब यूरोप में उनके ग्राहक ने उन्हें औजारों पर मेड इन इंडिया का निशान लगाने की अनुमति नहीं दी तो उन्होंने हार मान ली। अर्देशिर ने अपने समय के लिए काफी उन्नत ताले बनाए और यहां तक कि 1907 में दुनिया के पहले स्प्रिंगलेस ताले का पेटेंट भी कराया। 2007 में इसने एक चिप के साथ भारत की पहली चाबी, मेक्ट्रोनिक डोर लॉक की और यूनिक डुअल एक्सेस कंट्रोल पैडलॉक का निर्माण किया। यह पहला ताला जो दो चाबियों के साथ आया था।
1918 में गोदरेज ने दुनिया का पहला वनस्पति तेल साबुन बनाया। उस समय साबुन जानवरों की चर्बी से बनाए जाते थे। गोदरेज का पहला वनस्पति साबुन चाबी ब्रांड नाम के तहत बेचा गया था। रवीन्द्रनाथ टैगोर गोदरेज ने इस साबुन का विज्ञापन किया। गोदरेज समूह का कहना है कि उसके उत्पादों को एनी बेसेंट और महात्मा गांधी जैसे अन्य दिग्गजों ने भी समर्थन दिया था। गोदरेज के एक प्रतिस्पर्धी को लिखे पत्र में, जिसने गांधीजी से मदद मांगी थी, उन्होंने लिखा, मैं अपने भाई गोदरेज का इतना आदर करता हूं कि यदि आपके उद्यम से उन्हें किसी भी तरह से नुकसान पहुंचने की संभावना है, तो मुझे बहुत अफसोस है कि मैं आपको अपना आशीर्वाद नहीं दे सकता।