जानिए आरबीआई की क्या होती है रेपो दर और कैसे होता है इसका असर 

मुंबई- रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैकों को लोन देता है। जब रेपो रेट बढ़ती है, तो बैकों को आरबीआई से मिलने वाला लोन महंगा हो जाता है। ऐसे में वे इसका बोझ ग्राहकों पर डालते हैं। वे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन जैसे सभी लोन्स पर ब्याज दरों को बढ़ा देते हैं। आरबीआई महंगाई में कमी लाने के लिए बाजार में लिक्विडिटी घटाता है। ऐसा वह रेपो रेट बढ़ाकर करता है। 

रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों से कर्ज लेता है। अर्थात यह बैंकों के आरबीआई में जमा पैसे पर ब्याज दर होती है। रिवर्स रेपो रेट में लंबे समय से कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह अभी 3.35 फीसदी है। 


नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) बैंको की जमा राशि का वह हिस्सा होता है, जो बैंकों को आरबीआई के पास अनिवार्य रूप से रखना होता है। 4 मई 2022 को इसे बढ़ाकर 4.50 किया गया था। तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।

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