राशन कार्ड क्यों है महत्वपूर्ण, जानिए पहली बार कब हुई थी इसकी शुरुआत
मुंबई- राशन कार्ड का नाम तो आपने सुना ही होगा। जिसे कई जगह पहचान पत्र के रूप में और सरकारी योजनाओं के लाभ लेने के लिए उपयोग किया जाता है।
यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसे पहचान पत्र के रूप में तो इस्तेमाल किया ही जाता है। साथ ही इसकी सहायता से आम नागरिकों को उचित दाम में सरकार राशन भी मुहैया करवाती है। राशन कार्ड हर राज्य की सरकार वहां के नागरिकों के लिए जारी करती है। देश में बहुत से परिवार ऐसे हैं जो दो वक्त का खाना भी भरपेट नहीं खा पाते हैं। ऐसे परिवारों को सरकार हर माह मुफ्त में तथा कम दरों में राशन मुहैया कराती है। कई दस्तावेज जैसे निवास प्रमाण पत्र, आवास प्रमाण पत्र, वोटर आईडी, आधार कार्ड को बनाने के लिए पहचान पत्र के रूप में राशन कार्ड का उपयोग किया जाता है।
बंगाल में अकाल के समय यानी सन 1940 के दौरान भारत में राशन कार्ड की शुरुआत की गई। इसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 14 जनवरी 1945 से इसे योजना का रूप दिया गया. 1960 के दशक के समय कई लोग भोजन की कमी से जूझने लगे। जिसके बाद राशन प्रणाली को सरकार ने दोबारा शुरू किया।
राशन कार्ड चार रंगों में होते हैं। नीला और पीला – यह गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों को मिलता है। कई राज्यों में इसका रंग पीला या हरा भी होता है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की प्रति वर्ष आय 6400 रुपये और शहरी इलाकों में प्रति वर्ष आय 11,850 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। कार्ड धारकों को सब्सिडी पर राशन दिया जाता है।
गुलाबी – यह उन परिवारों को दिया जाता है, जिनकी सालाना आय गरीबी रेखा की सीमा से ज्यादा नीचे होती है. कार्ड पर मुखिया की फोटो लगी होती है। इस कार्ड के जरिये सब्सिडी पर अनाज मिलता है।
सफ़ेद – यह कार्ड उन लोगों को जारी किया जाता है जो आर्थिक रूप से समृद्ध होते हैं। जिन्हें सब्सिडी वाले राशन की आवश्यकता नहीं होती है. इस कार्ड का इस्तेमाल पहचान पत्र या फिर एड्रेस प्रूफ के रूप में किया जाता है।
देश में कई परिवार ऐसे हैं, जो अपने परिवार के लिए राशन खरीदने में असमर्थ होते हैं। ऐसे परिवार को सरकार राशन के जरिये सहायता करती है। परिवार के सदस्यों की संख्या के अनुसार उन्हें राशन दिया जाता है। इसके लिए सरकार ने कई दूकानों और सोसाइटी को जिम्मेदारी दे रखी है। ताकि अनाज का वितरण सही ढंग से हो सके। इसके साथ ही अपनी पहचान और निवास साबित करने के लिए भी राशन कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है. किसी आवेदन पत्र में या पहचान पत्र के रूप में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
बीपीएल राशन कार्ड उन परिवारों के लिए जारी किया जाता है जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। बीपीएल कार्ड धारी को बहुत ही कम दाम में राशन यानी दाल, चावल, गेंहू, आटा, नमक, तेल, केरोसिन, चीनी जैसी चीजे सरकार देती हैं। बीपीएल कार्ड धारी तक राशन पहुंचने में कोई समस्या न हो इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाता है. इस कार्ड के जरिये हर महीने 25 से 35 किलो राशन प्रदान किया जाता है।
एपीएल कार्ड एपीएल यानी गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करने वाले लोगों का राशन कार्ड। ऐसे लोग जो निम्न वर्ग या माध्यम वर्ग में शामिल होते हैं। इस कार्ड को रखने वाले परिवारों के लिए हर महीने कम दरों पर राशन नहीं दिया जाता है, बल्कि सरकार इनके लिए विशेष पॅकेज बनाती है, तभी ये लाभ उठा सकते हैं, परिवार को 15 किलो तक राशन मिलता है. यानी जब सामग्री ज्यादा हो और बीपीएल कार्डधारक को देने के बाद बच गई है तो वह एपीएल कार्ड धारी को दी जा सकती है।
अंत्योदय अन्न योजना राशन कार्ड यह कार्ड सरकार उन लोगों के लिए जारी करती है जो अत्यंत गरीबों की श्रेणी में आते हैं। यानी जिनके पास आय का कोई साधन न हो या ऐसे परिवार जिनके मुखिया की निश्चित आय नहीं हो. इसके साथ ही ऐसे परिवार जिनमें मुखिया विकलांग हो, विधवा हो या सीनियर सिटिजन हो। ऐसे परिवारों के लिए सरकार की ओर से अन्त्योदय अन्न योजना कार्ड जारी किया जाता है. जिसमें एक परिवार को 35 किलो तक अनाज दिया जाता है।
सफ़ेद राशन कार्ड यह राशन कार्ड भारत का कोई भी नागरिक हासिल कर सकता है. जिसका उद्देश्य राशन प्रदान करना नहीं बल्कि पहचान साबित करना है। यानी नागरिकता प्रदान करना। इसका उपयोग फॉर्म भरने, सरकारी योजनाओं के लिए आवेदन करने, दस्वएज बनाने, या ऐसे किसी भी स्थान पर इस्तेमाल किया जा सकता है जहां मूल निवासी पहचान पत्र की आवश्यकता होती है। यह एक प्रकार का पहचान पत्र है।
टेम्पररी राशन कार्ड ये राशन कार्ड मुख्य रूप से बंजारों को जारी किया जाता है। जिनके रहने का कोई ठिकाना नहीं होता. इनकी वेलिडिटी केवल 3 महीने की ही होती है।
राशन कार्ड के लिए आवेदन केवल भारतीय ही कर सकते हैं। राशन कार्ड केवल परिवार के मुखिया के नाम पर ही बनता है। मुखिया की उम्र 18 वर्ष या उससे ज्यादा होनी चाहिए। राशन कार्ड पर परिवार के सभी सदस्यों का नाम लिखा जाता है। राशन कार्ड के लिए आवेदन करने वाले सदस्य के नाम पर किसी और राज्य में पहले से राशन कार्ड नहीं बना हो।
राशन कार्ड में शामिल परिवार के सदस्यों का नाम किसी और राज्य के राशन कार्ड में भी शामिल न हो। राशन कार्ड परिवार की वार्षिक आय के आधार पर बनाया जाता है। चूंकि राशन कार्ड केन्द्रीय खाद्य विभाग द्वारा जारी किया जाता है। इसीलिए यदि कार्ड जारी होने के बाद या वेरिफिकेशन के समय यदि खाद्य विभाग को ऐसा लगे कि परिवार अपात्र है तो राशन कार्ड को कभी भी निरस्त किया जा सकता है।
वैसे तो राशन कार्ड मुख्य रूप से गरीब वर्ग को मुफ्त में या कम दरों पर राशन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रभाव में आया है। लेकिन इसके अलावा भी इसकी कई जगह आवश्यकता पड़ती है। जब किसी सरकार योजना का लाभ लेना हो, कहीं आवेदन करना हो, कोई दस्तावेज बनाना हो या किसी कंपनी में रजिस्ट्रेशन के लिए फॉर्म भरना हो, वहां राशन कार्ड काम आ सकता है। यानी ऐसी सभी जगह जहां आपको मूल निवासी पहचान पत्र देने की आवश्यकता होती है। वहां आप राशन कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सरकार चुकी गई दूकाने का सोसाइटी में गरीबों के लिए अनाज भेजती है. जिसे राशन कार्ड दिखाकर ही लिया जा सकता है। क्योंकि हर राज्य अपने नागरिकों के लिए राशन कार्ड जारी करता है. इसीलिए राशन कार्ड के जरिये मूल निवासी की पहचान होती है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार को कम दरों पर राशन किया जाता है। विधवा महिलाएं एवं विकलांग व्यक्तियों को भी राशन के जरिये जीवन यापन करने में सहायता मिलती है। एपीएल कार्ड धारकों में निम्न या माध्यम वर्ग के लोग आते हैं. जिन्हें भी राशन मिलता है, लेकिन बीपीएल कार्डधारियों से कम।
बीपीएल कार्ड के लिए गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों का आय प्रमाण पत्र. जिनकी आय 27 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अन्त्योदय राशन कार्ड के लिए विधवा की स्थिति में पति की मृत्यु का प्रमाण पत्र, विकलांगता की दशा में विकलांगता सर्टिफिकेट, सीनियर सिटिजन का प्रमाण पत्र।
आप चाहे तो अपने इलाके से संबंधित दफ्तर जैसे पंचायत ऑफिस, नगर पालिका कार्यालय जाकर ऑफलाइन चेक कर सकते हैं. या ऑनलाइन घर बैठे भी चेक किया जा सकता है। बच्चे का जन्म या नवविवाहिता आने पर राशन कार्ड में नया नाम जोड़ा जाता है।