पांच महीनों में ईंधन की कीमतों में होगी दोगुनी की बढ़ोतरी  

मुंबई-कच्चे तेल की उच्च कीमतों के चलते पिछले दिनों हमने पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमतों में भारी उछाल देखा है। ईंधन की कीमतों में इस बढ़ोतरी ने आम आदमी को काफी प्रभावित किया है। ईंधन की उच्च कीमतों से अन्य कई वस्तुओं में भी महंगाई देखने को मिली है।  

विश्लेषक ईंधन की कीमतों के बारे में डराने वाले अनुमान लगा रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर गैस व तेल की कीमतों में वृद्धि जारी रहती है, तो 15 सितम्बर से 15 दिसम्बर कीमतों में दोगुना बढ़त हो सकती है। अर्थशास्त्री क्रिस जॉन्स ने कहा कि यह वृद्धि उपभोक्ताओं के लिए “विनाशकारी” होगी। जॉन्स ने कहा कि कीमतों में वृद्धि का अकेला  

कारण यूक्रेन पर रूस का आक्रमण नहीं है। उन्होंने एक पॉडकास्ट में बताया, ‘यह पुराने जमाने का अर्थशास्त्र है, यह दुनिया भर के कुछ प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में और कुछ प्रमुख वस्तुओं में आपूर्ति से अधिक मांग है।’ 

जॉन्स ने आगे कहा कि गैस की आपूर्ति में व्यवधान एक बड़ी समस्या है, क्योंकि पुतिन पिछले कुछ समय से गैस की आपूर्ति के साथ गेम खेल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मौसम की घटनाओं का एक संयोजन भी इसके पीछे है। कुछ साल पहले काफी अधिक ठंडी सर्दी पड़ी थी, जिसके कारण गैस भंडार समाप्त हो गए थे। इसके बाद गर्मियों के दौरान जर्मनी जैसे देशों में गैस टैंकों को उतना नहीं भरा गया जितना भरा जाना चाहिए। 

अर्थशास्त्री जॉन्स ने कहा कि मांग आपूर्ति से अधिक हो गई है और इसके चलते काफी समय से गैस की कीमतें बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘हम यूके की बात करें, तो वहां अजीबोगरीब तरीके से चीजों को करते हैं। उन्हें इस समय उपभोक्ताओं के लिए गैस और बिजली की कीमतें साल में केवल दो बार बदलने की अनुमति है। यूके में कीमतों में वृद्धि जो अभी लागू की गई है, 50 से 100 फीसद तक है। इसलिए पिछले कुछ हफ्तों में कुछ बिल दोगुने हो गए हैं। 

उन्होंने कहा, “अगर अगले छह महीनों के लिए गैस और तेल जैसी चीजों की मौजूदा कीमतें बनी रहती हैं, तो ब्रिटेन और यूरोप के आसपास की अन्य जगहों पर या कम से कम आयरलैंड में शरद ऋतु में शायद फिर से कीमतें लगभग दोगुनी हो जाएंगी। 

जॉन्स ने कहा कि आयरलैंड यूके पाइपलाइनों के माध्यम से उत्तरी सागर से गैस का आयात करता है। अगर रूस अपनी गैस आपूर्ति रोक देता है, तो उस गैस के लिए प्रतिस्पर्धा “बेहद” बढ़ जाएगी। अगर रूस यूरोप को व विशेष रूप से जर्मनी को उत्तरी सागर में उत्पादित होने वाली गैस की आपूर्ति रोक देता है, तो कीमतों में बहुत वृद्धि होगी।” 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *