एफसीआई के लिए गेहूं की कीमतों में कटौती, 2,150 रुपये क्विंटल हुआ

नई दिल्ली। सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए गेहूं की रिजर्व कीमतों में कटौती की है। थोक ग्राहकों के लिए खुले बाजार की बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अच्छी और औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) वाला गेहूं अब 2,150 रुपये प्रति क्विंटल होगा। जबकि रिलैक्स्ड स्पेसिफिकेशन के तहत (यूआरएस) वाले गेहूं की कीमत 2,125 रुपये प्रति क्विंटल होगी। 

खाद्य मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि नई दर 31 मार्च तक लागू रहेगी। एफसीआई थोक ग्राहकों को 25 लाख टन गेहूं बेच रही है। ओएमएसएस के तहत कीमतों में कटौती से ग्राहकों को गेहूं और इससे बने उत्पाद सस्ते मिलेंगे। हालांकि, जो राज्य ई-नीलामी में शामिल नहीं होना चाहते हैं वे आरक्षित मूल्य से ज्यादा कीमत पर एफसीआई से गेहूं खरीद सकते हैं। 

10 फरवरी को मंत्रालय ने किराये को हटाकर ई-नीलामी के तहत गेहूं की कीमत 2,350 रुपये प्रति क्विंटल तय की थी। साथ ही नैफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार को दिए जाने वाले गेहूं की भी कीमतें 23.50 रुपये किलो से घटाकर 21.50 रुपये किलो कर दी गई थी। 

उपरोक्त संस्थानों को गेहूं को आटे में बदलने के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य 27.50 रुपये किलो पर गेहूं बेचा जाता है जो पहले 29.50 रुपये किलो पर बेचा जाता था। एफसीआई ने पहले ही दो बार की नीलामी में 25 लाख टन में से 13.11 लाख टन गेहूं कारोबारियों को बेच दिया है। तीसरी नीलामी 22 फरवरी को की जाएगी। 

पिछले महीने सरकार ने कीमतों को कम करने के लिए अपने भंडार से कुल 30 लाख टन गेहूं ओएमएसएस के तहत बेचने की घोषणा की थी। इसमें से एफसीआई थोक ग्राहकों जैसे चक्की मिलों को 25 लाख टन, दो खाख टन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जबकि तीन लाख टन राज्य की कंपनियों को कम कीमत पर बेचेगा। एफसीआई के पास 26 जनवरी तक 156.96 लाख टन गेहूं का भंडार था।  

एक अप्रैल तक देश में 96 लाख टन गेहूं का भंडार रहने की उम्मीद है जो 75 लाख टन की जरूरत से ज्यादा है। केंद्र सरकार ने कम पैदावार के कारण पिछले साल मई में कीमतों को काबू में करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2021-22 में गेहूं की पैदावार घटकर 10.6 करोड़ टन रह गई थी जो उसके पहले के साल में 10.9 करोड़ टन थी। इस साल 11.2 करोड़ टन से ज्यादा पैदावार की उम्मीद है। 

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