पिछले दो साल में अदाणी समूह पर बैंकों का कर्ज करीब चार गुना बढ़ गया
मुंबई- करीब दो साल पहले अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप के बारे में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें ग्रुप पर शेयरों की कीमत में हेराफेरी का आरोप लगाया गया था। पिछले दो साल में अडानी ग्रुप की घरेलू बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से उधारी करीब चार गुना बढ़ गई है।
2023 की शुरुआत में अडानी ग्रुप पर घरेलू बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की देनदारी 27,000 करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर करीब 1 लाख करोड़ रुपये हो गई है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप को ग्लोबल बॉन्ड मार्केट्स से पैसा जुटाने में मुश्किल हो रही है।
अडानी ग्रुप की कुल उधारी में घरेलू बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की हिस्सेदारी 42 फीसदी है जबकि ग्लोबल कैपिटल मार्केट्स की हिस्सेदारी 27 फीसदी है। ग्लोबल बैंकों की हिस्सेदारी करीब 27 फीसदी है। अडानी ग्रुप की बैलेंस शीट दुरुस्त है, इसलिए घरेलू बैंकों को उसे लोन देने में कोई दिक्कत नहीं है। सितंबर के अंत तक ग्रुप के पास 53,000 करोड़ रुपये से अधिक कैश बैलेंस था।
इतना ही नहीं अडानी ग्रुप भी अब घरेलू बैंकों से लोन लेने पर ज्यादा जोर दे रहा है। इसकी वजह यह है कि विदेशी बैंकों की तुलना में भारत में कर्ज लेना आसान है। ग्रुप 8 से 9 परसेंट ब्याज पर लोन ले रहा है। पिछले एक साल में समूह की उधारी लेने की लागत में एक प्रतिशत की कमी आई है।