पीएलआई से 8.61 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन, 6.78 लाख मिला रोजगार
मुंबई- उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) योजना के तहत अब तक 8.61 लाख करोड़ रुपये के उत्पादन या बिक्री हुई है। साथ ही इससे 6.78 लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। नवंबर, 2023 तक इसके जरिये 1.03 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। 2021 में 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए पीएलआई की घोषणा की गई थी।
सरकार की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इसमें सबसे ज्यादा योगदान निर्यात का रहा है। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, फार्मा, खाद्य प्रसंस्करण और टेलीकॉम एवं नेटवर्किंग उत्पादों का रहा है। इस योजना के तहत अब तक 14 क्षेत्रों के कुल 746 आवेदनों को मंजूरी दी गई। इनसे तीन लाख करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है। इसमें थोक ड्रग, मेडिकल उपकरणों, फार्मा, दूरसंचार, टेक्सटाइल्स, ड्रोन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के 176 छोटे एवं मझोले उद्योग हैं।
पीएलआई योजनाओं का लक्ष्य भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाना और भारतीय निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अतिरिक्त सचिव राजीव सिंह ठाकुर ने कहा, उत्पादन सही रास्ते पर है। इस योजना के तहत अब तक 8 क्षेत्रों में करीब 4,415 करोड़ रुपये का वितरण किया जा चुका है। पीएलआई के कारण फार्मा क्षेत्र की कच्ची सामग्रियों के निर्यात में गिरावट आई है। इसके अलावा, डीपीआईआईटी ने पीएलआई लाभार्थी कंपनियों के लिए वीजा आवेदनों की सुविधा के लिए प्रणाली स्थापित की है।
इस वित्त वर्ष के अंत तक 11,000 करोड़ रुपये के वितरण का लक्ष्य रखा गया है। आंकड़ों के अनुसार, 90.74 फीसदी सीएजीआर के साथ ड्रोन उद्योग पर भी बड़ा प्रभाव देखा गया है। खाद्य प्रसंस्करण में कच्चे माल की स्थानीय सोर्सिंग में काफी वृद्धि देखी गई है। इससे भारतीय किसानों और एमएसएमई की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।