अंबानी से जुड़ी है एनडीटीवी की कहानी, जानिए कैसे पहुंची अदाणी तक
मुंबई- न्यू देल्ही टेलीविजन (एनडीटीवी) की जिस 29.18 फीसदी हिस्सेदारी पर अदाणी समूह अपना कब्जा बता रहा है, अगर अदाणी समूह यह काम नहीं करता तो अंबानी की रिलायंस भी यही काम कर सकती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि वीसीपीएल पहले अंबानी के पास थी और बाद में इसका मालिकाना हक कई कंपनियों के हाथों में चला गया।
विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लि. (वीसीपीएल) की एनडीटीवी में 29.18 फीसदी की हिस्सेदारी है। इसे अदाणी समूह ने पिछले हफ्ते कर्ज नहीं चुकाने के एवज में खरीदा था। वीसीपीएल को 2008 में शुरू किया गया था। यही कंपनी आरआरपीआर में परिवर्तनीय डिबेंचर की मालिक है। इसी डिबेंचर को कर्ज के एवज में इक्विटी में बदला गया है। अदाणी समूह ने 404 करोड़ रुपये का कर्ज वीसीपीएल को दिया था। 2010 में वीसीपीएल के मालिकाना हक में बदलाव हुआ था।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने दूरसंचार कारोबार में उतरने के लिए इंफोटेल ब्रॉडबैंड को महेंद्र नाहटा से 2010 में खरीदा था। इंफोटेल समूह के सुरेंद्र लुनिया ने 2012 में वीसीपीएल को खरीदा। लुनिया नाहटा समूह की एचएफसीएल इंफोटेल के मुख्य वित्तीय अधिकारी थे। वीसीपीएल द्वारा दिया गया कर्ज 2018 में सेबी की नजर में तब आया, जब उसने इस कर्ज को 350 करोड़ रुपये के परिवर्तनीय कर्ज के माध्यम से 52 फीसदी हिस्सेदारी अप्रत्यक्ष रूप से हासिल करने की कोशिश की थी।
सेबी ने अपनी रिपोर्ट में एनडीटीवी के मालिकान के साथ कर्ज समझौते में प्रवेश करने के मकसद पर सवाल उठाया था। हालांकि, सेबी की अपीलेट संस्था सैट ने इस आदेश को रद्द कर दिया। एनडीटीवी मालिकों ने 2008 में एक ओपन ऑफर लाया और इंडियाबुल्स फाइनेंस से 540 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। इस कर्ज को चुकाने के लिए आईसीआईसीआई बैंक से 375 करोड़ का कर्ज लिया जिसे 2009 में चुकाया गया। इसे चुकाने के लिए वीसीपीएल से 21 जुलाई, 2009 को 350 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया। इस कर्ज को रिलायंस की एक कंपनी के जरिये वीसीपीएल को दिया गया।
हालांकि, कर्ज में भी काफी उलझा मामला है। वीसीपीएल ने कर्ज पर कोई ब्याज नहीं लिया, लेकिन आईसीआईसीआई बैंक सालाना 19 फीसदी कर्ज ले रहा था। कर्ज के समझौते में यह प्रावधान था कि 3-5 सालों में कर्जदाता और कर्ज लेने वाले एक विश्वसनीय खरीदार की तलाश करेंगे। उस समय ओपन ऑफर लाने की प्रक्रिया में रॉय असफल हो गए थे। अब यही काम अदाणी समूह कर रहा है, जो रॉय के लिए आगे कठिनाई पैदा कर सकता है।
एनडीटीवी ने एक्सचेंजों को दी सूचना में कहा कि अदाणी के ओपन ऑफर को रोका जाए। कानूनी जानकारों का मानना है कि यह मामला अब कानूनी पचड़े में फंसेगा। साथ ही अदाणी समूह के लिए सेबी की मंजूरी जरूरी होगी। उधर, दो दिन से एनडीटीवी के शेयर 5 फीसदी के अपर सर्किट (एक दिन में इससे ज्यादा नहीं) पर बंद हो रहे हैं। हालांकि एक साल में यह 71 रुपये से बढ़कर 403 रुपये पर पहुंच गया है।
करीब दो साल पहले 27 नवंबर 2020 को सेबी ने प्रणव और राधिका रॉय को सेबी बाजार में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया था जो 26 नवंबर, 2022 को खत्म होगी। एनडीटीवी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि जब तक यह लंबित अपील पूरी नहीं हो जाती है, तब तक आरआरपीआर की हिस्सेदारी लेने के लिए सेबी की मंजूरी चाहिए।