वोडाफोन आइडिया में अब सरकार होगी मालिक, शेयर 19% टूटा

मुंबई- वोडाफोन आइडिया की मालिक अब सरकार होगी। सरकार के पास 35.8% हिस्सा होगा। जबकि इसके प्रमोटर्स वोडाफोन ग्रुप Plc के पास करीबन 28.5% हिस्सेदारी होगी। आदित्य बिड़ला ग्रुप के पास 17.8% हिस्सेदारी होगी। बैंकों का वोडाफोन आइडिया पर 35 हजार करोड़ रुपए के करीब कर्ज है। कंपनी पर कुल 1.9 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है।

वोडाफोन ने कहा है कि सरकार 35.8% हिस्से की मालिक होगी। इसके बोर्ड ने कर्ज को इक्विटी में बदलने के फैसले को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद कंपनी का शेयर आज 19% टूटकर 12.05 रुपए तक चला गया था। हालांकि बाद में इसमें थोड़ा सुधार आया। वोडाफोन आइडिया देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम ऑपरेटर है।

कंपनी ने इसी हफ्ते शॉर्ट टर्म लोन के जरिए 5 हजार करोड़ रुपए की रकम जुटाई है। यह फंड उसने SBI, IDFC फर्स्ट बैंक, HDFC बैंक, इंडसइंड बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से जुटाई है। इसे फरवरी के अंत तक नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर्स (NCD) का 4,500 करोड़ रुपए चुकाना है। इसी महीने की शुरुआत में इसने 1,500 करोड़ रुपए NCD का चुकाया भी है। 5000 करोड़ रुपए का कर्ज कंपनी ने 6.5 से 8.5% सालाना ब्याज दर पर लिया है। हालांकि इसकी अवधि भी एक साल से कम की है।

वोडाफोन ने स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा कि इक्विटी में जो भी कर्ज बदला जाएगा, उसमें अभी के सभी शेयरधारक शामिल होंगे। इसके तहत 16 हजार करोड़ रुपए के कर्ज को इक्विटी में बदला जाएगा। इसमें फाउंडर्स भी होंगे। रिलायंस जियो के आने के बाद बिड़ला की आइडिया और वोडाफोन एक में मिल गई थीं। इसके बाद देश में भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) को लेकर चार टेलीकॉम कंपनियां प्रमुख रह गईं। वोडाफोन आइडिया लगातार घाटा दे रही है और हाल में तो इसके डूबने तक की चर्चा हो रही थी।

करीबन 5 महीने पहले ही यह बात साफ हो गई थी कि कंपनी सरकार को कर्ज के एवज में इक्विटी दे देगी। ब्रोकरेज फर्म्स ICICI सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में इस तरह की संभावना जताई थी। वोडाफोन आइडिया (Vi) चार साल के मोहलत के बाद यदि इक्विटी के माध्यम से एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) और स्पेक्ट्रम पेमेंट पर ब्याज का पेमेंट करने का विकल्प चुनती है, तो इस कंपनी में सरकार 26% हिस्सेदारी का मालिक बन सकती है। सरकार का यह ऐसा मैकेनिज़्म था जो वोडाफोन और अन्य टेलीकॉम कंपनियों को उनके बकाया पर ब्याज को इक्विटी में बदलने का विकल्प दे रहा था।

सितंबर 2021 में सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को राहत दिया था। इसके मुताबिक, सरकार ने कंपनियों को स्पेक्ट्रम और AGR बकाया पर चार साल का मोरेटोरियम दिया, ताकि उन पर बना वित्तीय दबाव थोड़ा कम हो सके। वे अपने बकाया और उन पर बने ब्याज को मोरेटोरियम पीरियड के खत्म होने के समय जमा कर सकते हैं। अगर मोरेटोरियम के अंत में कोई कंपनी बकाया जमा नहीं कर सकी तो वह सरकार को इस बकाया के बदले में कंपनी की हिस्सेदारी दे सकती है।

ICICI सिक्योरिटीज ने एक नोट में कहा था कि वोडा आइडिया की स्थिति अगर खराब होती है तो फिर इक्विटी के विकल्प के साथ यह सरकारी कंपनी बन सकती है। सरकार ने डिफर्ड पेमेंट पर ब्याज को इक्विटी में बदलने का विकल्प दिया था। यह ब्याज 94 अरब रुपए के करीब होगा। ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि चार साल के अंत में इक्विटी कन्वर्जन से कर्ज की देनदारी बढ़ जाएगी। कंपनी कमजोर पड़ी तो मौजूदा शेयरधारकों की हिस्सेदारी काफी कम हो जाएगी। ऐसी स्थिति में सरकार इस टेलीकॉम कंपनी में सबसे बड़ी शेयरधारक बन सकती है।
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने कहा कि चार साल की मोहलत से वोडाफोन को सालाना 250 अरब रुपए के कैश फ्लो की राहत मिलेगी। इससे लंबे समय तक कंपनी को बाजार में बने रहने में मदद मिलेगी। हमारा आंकलन यह कहता है कि अगर वोडाफोन इक्विटी के माध्यम से चार साल में 90 अरब रुपए के ब्याज का पेमेंट करने का विकल्प चुनती है तो चार साल बाद सरकार की इसमें 26% की हिस्सेदारी हो सकती है।

हालांकि जब यह रिपोर्ट आई थी, तब वोडाफोन के शेयर का भाव 11.75 रुपए था। यह बाद में पिछले महीने 16 रुपए तक गया था। ICICI सिक्योरिटीज ने कहा कि नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर (NCD) के पेमेंट के रूप में 60 अरब रुपए कंपनी को देना होगा। इसे देखते हुए वोडाफोन को टैरिफ बढ़ाना होगा, जो कंपनी ने अब कर भी दिया है। इसे अगले 12 महीनों में 120 अरब रुपए की बैंक गारंटी को भी रिन्यू करने की जरूरत होगी। वोडाफोन आइडिया ने 4 साल की मोहलत ली है। सरकार इसे 14 हजार करोड़ रुपए की बैंक गारंटी वापस कर सकती है। हालांकि इसमें से 2,500 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी 3 दिसंबर 2021 को वापस हो चुकी है। इसका मतलब यह हुआ कि बैंक वोडाफोन आइडिया को भविष्य में कर्ज दे सकते हैं।

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