सरकारी बैंकों के लिए समस्या खड़ा करेगा क्रेडिट कार्ड, एक साल में दोगुना एनपीए 

नई दिल्ली। कॉरपोरेट और तमाम तरह के कर्ज को बैलेंसशीट से हटाने के बाद सरकारी बैंकों के लिए अब क्रेडिट कार्ड समस्या खड़ा कर सकता है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में क्रेडिट कार्ड का बुरा फंसा कर्ज (एनपीए) बढ़कर 18 फीसदी पर पहुंच गया है। उसके पहले के साल में यह 9 फीसदी पर था। 

भारतीय रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के मुताबिक, पर्सनल लोन के एनपीए में सुधार हुआ है, पर क्रेडिट कार्ड अभी भी चिंता का विषय है। बैंकों का समग्र एनपीए भले ही 10 साल के निचले स्तर पर आ गया हो, लेकिन पर्सनल लोन में क्रेडिट कार्ड अब नई समस्या खड़ी कर सकता है। कुछ दिन पहले ही आरबीआई ने संकेत दिया था कि अब पर्सनल लोन पर भी गारंटी लेने का नियम आ सकता है। हालांकि, अभी यह तय नहीं हुआ है। 

वित्त वर्ष 2023 तक देश में क्रेडिट कार्ड की संख्या 8.53 करोड़ पहुंच गई जो एक साल पहले 7.36 करोड़ थी। पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच बैंकों के क्रेडिट कार्ड का एनपीए 24.5 फीसदी उछल गया था। वित्त वर्ष 2022 के पहले नौ महीनों में यह 765 करोड़ रुपये बढ़कर 3,887 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह क्रेडिट कार्ड के कुल बकाये का करीब 2.16 प्रतिशत है। 

क्रेडिट कार्ड पर इस समय दो लाख करोड़ रुपये की उधारी बैंकों की बाकी है। यह उसके पहले के साल की तुलना में 29 फीसदी अधिक है। हालांकि, बैंकों की कुल उधारी में कार्ड बैलेंस की हिस्सेदारी महज 1.4 फीसदी है। वैसे वैश्विक स्तर की तुलना में भारत में पांच फीसदी से भी कम लोगों के पास क्रेडिट कार्ड है। 

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