आर्यन खान की बढ़ सकती है मुसीबत, जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील
मुंबई- ड्रग्स केस में फंसे शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान की भले जमानत हो गई हो, लेकिन उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। खबर है कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत के खिलाफ याचिका दायर की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील मनोहर शर्मा ने आर्यन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि आरोपी आर्यन और उसके वकील द्वारा स्वीकार किए गए तथ्यों और सबूतों के बावजूद कि उसने अब्बास मर्चेंट से चरस ली, आर्यन एक ड्रग पेडलर है और उनके पास से एनसीबी ने इसे बरामद भी किया उसे जमानत मिल गई है। राज्य के मंत्री और पुलिस द्वारा सुनियोजित मनगढ़ंत साजिश से सबूतों और गवाहों को नष्ट कर दिया गया। यह पुलिस की एक गैरकानूनी कार्रवाई है जिसने मामले के सभी गवाहों को गिरफ्तार कर लिया है और रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत नष्ट कर दिए हैं।
उन्होंने कहा कि अब नारकोटिक्स ब्यूरो के रीजनल डायरेक्टर की गिरफ्तारी की आशंका जताई जा रही है। यह असंवैधानिक है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। दुनिया का कोई भी कानून किसी राज्य को आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ सबूत और गवाह को नष्ट करने की अनुमति नहीं देता है। लेकिन महाराष्ट्र राज्य ने ऐसा किया। आपराधिक न्याय में गवाह महत्वपूर्ण तथ्य होता है और इसे संरक्षण दिया जाता है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य में जब एनडीपीएस अदालत द्वारा एक सुनियोजित मनगढ़ंत खेल के तहत आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था तो मंत्री आगे आए और रीजनल डायरेक्टर वानखेड़े के खिलाफ कई आरोप लगाए ताकि उन्हें केस से हटाया जा सके, हालांकि एनसीबी ने उन्हें हटाने से इनकार कर दिया है।
उन्होंने कहा कि तत्पश्चात एक सुनियोजित साजिश के तहत राज्य पुलिस और मंत्री ने एक गवाह (प्रभाकर सेल) को यह बयान देने के लिए मजबूर किया कि उसने सुना था कि एक अन्य चश्मदीद गवाह गोसावी ने आर्यन को छुड़ाने के लिए वानखेड़े देने के लिए 8 करोड़ रुपये मांगे हैं। 28 तारीख को चश्मदीद गवाह गोसावी को पुलिस ने तीन साल पहले की एक शिकायत के केस में गिरफ्तार कर लिया गया। सेल के बयान के आधार पर एक महिला वकील वानखेड़े के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई और आरोप लगाया कि वानखेडे ने 8 करोड़ की रिश्वत मांगी।
उन्होंने कहा कि 28 अक्टूबर तक आर्यन या उनके परिवार ने सेल के आरोपों पर कुछ पुष्टि कभी नहीं की। फिर भी पुलिस वानखेड़े को गिरफ्तार करने के लिए तैयार है। हाईकोर्ट ने उन्हें किसी भी तरह की राहत देने से इनकार करते हुए कहा है कि उन्हें गिरफ्तारी से तीन दिन पूर्व नोटिस दिया जाएगा।
तीसरा गवाह है मनीष भानुशाली जिसका राज्य की पुलिस पीछा कर रही है। उसकी गलती यह है कि उसने इस नारकोटिक्स पार्टी की सूचना एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक को दी थी। वह एक खबरी था। इस तरह से राज्य से एक तरफ अपराधियों को मुक्त किया जा रहा है वहीं एनसीबीसी के क्षेत्रीय निदेशक सहित तीन गवाहों की जान खतरे में है। उनका अपराध यही है कि उन्होंने हाई प्रोफाइल आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार किया और राज्य और राज्य मंत्री उन आरोपियों की तरफदारी करने लगे।
मनोहर शर्मा ने कहा कि इस पूरे मामले में तीन सवाल बाकी हैं, जिनका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है। पहला सवाल कि क्या गवाह को पुलिस द्वारा प्रताड़ित/परेशान किया जा रहा है? दूसरा सवाल क्या राज्य राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर आपराधिक मामले को रद्द करने के लिए कार्रवाई कर रही है? और तीसरा सवाल- क्या आर्यन को जमानत दिलाने के लिए रीजनल डायरेक्टर पर निजी और गंदे आरोप लगाने वाले मंत्री को संवैधानिक पद पर बने रहने दिया जा सकता है? इसलिए न्याय के लिए ये मेरी गुहार है। उन्होंने कहा कि न्याय के हित में पूरे मामले को सीबीआई को सौंपने के साथ गवाहों को सुरक्षा प्रदान किया जाए। प्रतिवादी संख्या 3 को संवैधानिक कार्यालय से हटाने की कृपा करें और कानून के अनुसार मुकदमा चलाने की कृपा करें।