देश में 42 करोड़ लोगों के पास कोई भी स्वास्थ्य बीमा योजना नहीं, कम प्रीमियम वाले प्रोडक्ट की जरूरत

मुंबई- सरकार के थिंक टैक नीति आयोग ने कहा है कि भारत में लगभग 30% या 42 करोड़ आबादी के पास कोई भी स्वास्थ्य बीमा प्लान नहीं है। यह संख्या मौजूदा योजना में अंतर और योजनाओं के बीच ओवरलैप के कारण और अधिक है।  

कम लागत वाले स्वास्थ्य बीमा की आवश्यकता का नीति आयोग ने सुझाव दिया है। आयोग ने कहा है कि यदि भारत को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (universal health coverage) का लक्ष्य  प्राप्त करना है तो कम प्रीमियम वाले प्रोडक्ट को बाजार में उतारना होगा। स्वास्थ्य पर कम सरकारी खर्च ने सरकारी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता और क्वालिटी को बाधित किया है। नीति आयोग ने भारत के स्वास्थ्य बीमा पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह अधिकांश व्यक्तियों को लगभग दो-तिहाई महंगे निजी क्षेत्र में इलाज कराने के लिए मोड़ देता है। 

रिपोर्ट के अनुसार, आयुष्मान भारत या प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY), आबादी के निचले 50% या 70 करोड़ व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती पर बीमा कवर प्रदान करती हैं। इस स्कीम को सितंबर 2018 में लॉन्च किया गया था। 20% आबादी या 25 करोड़ व्यक्ति सामाजिक स्वास्थ्य बीमा, और निजी स्वैच्छिक स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से कवर किए जाते हैं। 

आयोग ने कहा कि बाकी 30% आबादी स्वास्थ्य बीमा के दायरे से बाहर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि PMJAY में मौजूदा कवरेज अंतराल और योजनाओं के बीच ओवरलैप होने के कारण वास्तविक रूप से ज्यादा आबादी तक नहीं पहुंच पा रही है। 

रिपोर्ट में आरोग्य संजीवनी पर एक अच्छे प्रोडक्ट या सुधार को डिजाइन करने का सुझाव दिया गया है। इससे नए प्रोडक्ट सभी बीमारियों का जल्द से जल्द कवरेज प्रदान कर पाएंगे। आयोग ने कहा कि आरोग्य संजीवनी को एक तिहाई से आधी कीमत पर उपलब्ध होना चाहिए।  इसकी कीमत वर्तमान में 12,000 रुपए है। चार सदस्यों के एक परिवार के लिए यह स्कीम लागू होती है। इसका मतलब यह है कि इसे 4 हजार रुपए में पेश करना चाहिए।  

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार स्वास्थ्य बीमा को बढ़ाने और कुछ चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सबसे पहले, सरकार को मजबूत नियामक तंत्र के माध्यम से ग्राहकों के विश्वास और स्वास्थ्य बीमा के विश्वास में सुधार करना चाहिए। दूसरा, बीमाकर्ताओं की डिस्ट्रीब्यूशन लागत को कम करने के लिए सरकारी डेटा मदद कर सकता है। आयोग ने कहा कि सरकार आंशिक रूप से वित्त या स्वास्थ्य बीमा प्रदान कर सकती है। इसमें कहा गया है कि मध्यम आबादी के सबसे गरीब क्षेत्रों में PMJAY कवरेज का विस्तार करने की जरूरत है। 

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