घटेगी लोन की किस्त, पहली छमाही में 0.5 फीसदी कम होगी रेपो दर

मुंबई- लंबे समय से ऊंची ब्याज दर से जल्द राहत मिलने की उम्मीद है। आरबीआई सितंबर तक रेपो दर में 0.50 फीसदी की कटौती कर सकता है। इससे होम लोन सहित अन्य कर्जों की किस्त घट सकती है। जेफरीज ने रिपोर्ट में कहा, केंद्रीय बैंक ने तरलता पर अपना रुख आसान कर दिया है और पिछली मौद्रिक नीति समिति की बैठक के दौरान नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर में 0.5 फीसदी की कटौती की थी।

जेफरीज ने शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा, तरलता और सीआरआर पर ढील देने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नीतिगत दरों की समीक्षा कर सकता है। इसमें दरों में कटौती हो सकती है। नीतिगत दरों में कटौती निकट अवधि में विकास और निवेश के लिए सहायक हो सकती है। हालांकि, ये नीतिगत बदलाव बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) पर अस्थायी रूप से प्रभाव डाल सकते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, एनआईएम में 0.10 फीसदी की गिरावट से बैंकों की कमाई में 3 से 8 फीसदी की कमी आ सकती है। इसका ज्यादा असर सरकारी बैंकों पर प़ड़ सकता है। जबकि जमा दरें काफी हद तक स्थिर बनी हुई हैं और इस कारण पिछले वर्ष के दौरान बैंकों के फंड की लागत 0.50 फीसदी तक बढ़ गई है। असुरक्षित खुदरा ऋण व छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) को दिए गए ऋणों से परिसंपत्तियों पर दबाव भी देखा गया है।

जेफरीज के मुताबिक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और निचले स्तर के ग्राहकों को सेवाएं देने वाले छोटे निजी बैंकों को ऊपरी स्तर के ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित करने वाले ऋणदाताओं की तुलना में अधिक तनाव का सामना करना पड़ा है। कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2026 में दर में कटौती और परिसंपत्ति गुणवत्ता के दबाव में कमी से बैंकिंग क्षेत्र के लिए स्थितियां बेहतर हो सकती हैं।

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