जमा घटने से चालू वित्त वर्ष में कम लोन दे सकते हैं निजी व सरकारी बैंक
मुंबई- रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर यानी एसएंडपी का मानना है कि जमा घटने से चालू वित्त वर्ष में भारतीय बैंक लोन बांटने की रफ्तार कम कर सकते हैं। हालांकि, उनकी कर्ज वृद्धि और मुनाफा अच्छा हो सकता है। साथ ही, बुरे फंसे कर्ज यानी एनपीए में गिरावट आ सकती है। यह मजबूत आर्थिक वृद्धि को दर्शाती है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स निदेशक निकिता आनंद ने कहा कि यदि जमा वृद्धि विशेष रूप से खुदरा जमा स्थिर रहता है तो उधारी की दर 16 फीसदी से घटकर 14 फीसदी पर आ सकती है। प्रत्येक बैंक में कर्ज-जमा अनुपात में गिरावट आई है। ऋण वृद्धि जमा वृद्धि की तुलना में 2-3 फीसदी अधिक है। हमें उम्मीद है कि बैंक वित्त वर्ष 2025 में ऋण वृद्धि कर सकते हैं। यह जमा वृद्धि के अनुरूप रह सकता है। यदि बैंक ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें ज्यादा ब्याज पर थोक फंडिंग लेना होगा। इससे बैंकों के लाभ पर असर पड़ेगा।
कर्ज वृद्धि सबसे अधिक निजी क्षेत्र के बैंकों की रही है। इन बैंकों की वृद्धि 17-18 फीसदी की रही है। सरकारी बैंकों के लोन में केवल 12-14 फीसदी की ही तेजी रही है। आनंद ने कहा कि भारतीय बैंक बिना पूंजी जुटाए तीन वर्षों में 15-20 फीसदी की वृद्धि दर हासिल कर सकते हैं। यह औसत वृद्धि की तुलना में दो-तीन फीसदी अधिक है।