सेबी के इस फैसले से आ रही है अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट
मुंबई- अडानी ग्रुप के शेयरों में तेजी की रफ्तार थम गई है। पिछले चार दिनों से अडानी के ज्यादातर शेयरों में गिरावट का माहौल है। बुधवार को भी ग्रुप के अधिकांश शेयर भारी गिरावट के साथ बंद हुए। सबसे ज्यादा गिरावट अडानी टोटल गैस में रही। तीन राज्यों में बीजेपी की जीत और हिंडनबर्ग के आरोप खारिज होने के बाद सबसे ज्यादा तेजी अडानी टोटल गैस के शेयरों में ही आई थी।
24 नवंबर से लेकर 11 दिसंबर तक यह स्टॉक करीब 120 प्रतिशत तक भागा था। बाकी शेयरों में भी 30 से 50 प्रतिशत तक की तेजी आई थी। अब इन शेयरों में मुनाफावसूली हो रही है।ग्रुप के शेयरों में गिरावट के पीछे के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है एनएसई और बीएसई की तरफ से सख्ती बरतना। अडानी ग्रुप के पांच शेयरों को एनएसई और बीएसई ने एएसएम (ASM) फ्रेमवर्क में डाल दिया है।
एएसएम में कोई कंपनी आती है तो इंट्रा डे ट्रेडिंग के लिए मार्जिन ज्यादा और सर्किट लिमिट घटा दिए जाते हैं। एएसएम में अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी एनर्जी सॉल्यूशन, अडानी पावर और एनडीटीवी को डाला गया है। अडानी पावर लॉन्ग टर्म एएसएम के चौथे चरण में है। स्टेज 4 को काफी सख्त माना जाता है। यही वजह है कि अडानी पावर में ऊपरी लेवल से प्रॉफिट बुकिंग आ रही है। साथ ही इस कंपनी का सर्किट लिमिट भी घटाकर 10 प्रतिशत का कर दिया गया है।
अडानी ग्रीन, अडानी ट्रांसमिशन और एनडीटीवी एएसएम के शॉर्ट लिस्ट में है। ये तीनों कंपनियां शॉर्ट के स्टेज-1 में है। यह स्टेज लॉन्ग टर्म की तुलना में थोड़ा राहत वाला होता है। अडानी टोटल गैस एएसएम के शॉर्ट टर्म के स्टेज-2 में है। यह थोड़ा सख्त होता है। यही कारण है कि अडानी टोटल गैस के शेयरों में काफी गिरावट आ रही है। अभी अडानी एनर्जी सॉल्यूशन का सर्किट लिमिट 20 प्रतिशत है। अडानी पावर, अडानी विल्मर, अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी टोटल गैस की सर्किट लिमिट 20 से घटाकर 10 प्रतिशत कर दी गई है।
एनएसई और बीएसई ने मिलकर एएसएम फ्रेमवर्क बनाया है। किसी भी शेयर में हद से ज्यादा तेजी या फिर गिरावट होने पर अतिरिक्त निगरानी रखने के लिए फ्रेमवर्क में डाला जाता है। एएसएम दो प्रकार का होता है। शॉर्ट एएसएम और लॉन्ग टर्म एएसएम। जब भी किसी कंपनी का शेयर एएसएम की लॉन्ग टर्म की लिस्ट में जाता है तो उसे कम से कम 90 दिनों तक वहां रखा जाता है। इसके कुछ पैरामीटर होते हैं। उनके हिसाब से शेयर पर निगरानी की जाती है। वहीं, शॉर्ट टर्म के एएसएम में अधिकतम 30 दिनों तक रखा जाता है। वहीं, स्टेज एक से तो 15 दिनों में ही निकाल दिया जाता है।