पावर फाइनेंस 10 हजार करोड़ रुपए जुटाएगी, दो बार में बांड्स के जरिए है योजना

मुंबई- सरकारी कंपनी पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशेन (PFC) 10 हजार करोड़ रुपए जुटाएगी। यह पैसा बांड्स के जरिए जुटाएगी। इसे दो बार में पूरा किया जाएगा। PFC पावर सेक्टर की देश की सबसे बड़ी कंपनी है। इसे NCD के रूप में लांच किया जाएगा। 

कंपनी ने कहा कि पहली बार में वह 5 हजार करोड़ रुपए जुटाएगी। यह सब्सक्रिप्शन के लिए 15 जनवरी को खुलेगा। 29 जनवरी को बंद होगा। इससे पहले PFC ने टैक्स फ्री इंफ्रास्ट्रक्चर बांड्स के जरिए पैसा जुटाया था। इस बांड्स में रिटेल निवेशकों ने पैसा लगाया था। यह उसका पहला टैक्स वाला बांड्स होगा जो व्यक्तिगत निवेशकों के लिए होगा।  

इसके जरिए जुटाए जाने वाले पैसे का उपयोग उधारी देने, फाइनेंस, कर्ज को चुकाने आदि पर किया जाएगा। इसमें से 75% रकम उधारी देने और कर्ज के चुकाने पर खर्च होगी। इस नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर (NCD) का फेस वैल्यू 1 हजार रुपए होगा। कम से कम 10 NCD को खरीदना होगा। यानी कम से कम 10 हजार रुपए का निवेश करना होगा। 

नाबालिग निवेशक इसमें तभी पैसे लगा सकते हैं जब उनके गार्जियन का नाम होगा। विदेशी निवेशक इसमें निवेश नहीं कर सकते हैं। NRI भी निवेश नहीं कर पाएंगे। इसे चार अलग-अलग समय के लिए जारी किया जाएगा। इसमें 3 साल, 5 साल, 10 साल और 15 साल के बांड्स का समय होगा।  

इसमें संस्थागत निवेशकों को निवेश पर ब्याज दर 3 साल के बांड्स पर 4.65% होगी। 5 साल के बांड्स पर 5.65% होगी। 10 साल के बांड्स पर 6.78 और 15 साल के बांड्स पर 6.95% होगी। हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) के लिए 4.80% ब्याज दर होगी। यही ब्याज दर रिटेल निवेशकों को भी मिलेगी।  

बता दें कि NCD या बांड्स पर इस समय ब्याज दरें काफी कम हैं। एक साल पहले इस तरह की एनसीडी पर 7 से 8% ब्याज दर मिलती थी। लेकिन रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती से फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरें काफी नीचे हैं। यहां तक की लोन की भी ब्याज दरें ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर हैं। FD की ब्याज दरें इस समय 5-6% के करीब हैं। यही कारण है कि पावर फाइनेंस ने इस बांड्स पर 4.65% से ब्याज की शुरुआत की है।  

हालांकि अगर कोई निवेशक अगर 15 साल के लिए निवेश करना चाहता है तो फिर उसके लिए प्राविडेंट फंड, नेशनल पेंशन स्कीम, पोस्ट ऑफिस जैसी स्कीम में इससे ज्यादा ब्याज मिल सकता है। साथ ही कुछ छोटे बैंकों या कॉर्पोरेट डिपॉजिट में इसकी तुलना में 50% तक ज्यादा मिल सकता है।   

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