UN का अनुमान, जनवरी से दिसंबर के बीच भारत की GDP की विकास दर 7.5% रह सकती है

मुंबई– संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अनुमान लगाया है कि भारत की GDP की ग्रोथ रेट इस चालू कैलेंडर साल में 7.5% के करीब रह सकती है। कैलेंडर साल मतलब जनवरी से दिसंबर के बीच की बात है। हालांकि अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच GDP का अनुमान ज्यादातर ब्रोकरेज हाउसों ने 10% का लगाया है। पर UN का यह अनुमान सबसे कम है।  

UN ने कहा कि जनवरी में जो उसका अनुमान था, उसकी तुलना में 0.2% GDP बढ़ सकती है। हालांकि पूरे साल के लिए देश का आउटलुक काफी उतार-चढ़ाव वाला रह सकता है। कोविड-19 के बढ़ रहे असर के कारण और वैक्सीनेशन प्रोग्राम में देरी से ज्यादातर देशों के सामने रिकवरी को लेकर चुनौतियां हैं। उधर इससे पहले रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को कहा था कि अप्रैल से मार्च के बीच में देश की GDP की ग्रोथ रेट 8.2 से 9.8% के बीच रह सकती है। इससे पहले उसने 11% की ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया था।  

क्रिसिल ने कहा कि कोविड के बुरे असर के माहौल में GDP की ग्रोथ रेट 8.2% तक जा सकती है जबकि अच्छे माहौल में यह 9.8% हो सकती है। उधर दूसरी ओर मूडीज ने अनुमान में कटौती किया है। उसने कहा है कि वित्त वर्ष 2022 यानी अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के दौरान GDP की ग्रोथ रेट 9.3% रह सकती है। इससे पहले उसने 13.7% की ग्रोथ का अनुमान लगाया था। मूडीज का अनुमान सबसे ज्यादा था। मूडीज ने बुधवार को कहा कि उसने फरवरी में 13.7% का तब अनुमान लगाया था जब कोविड का मामला एकदम रिकवरी की ओर था। लेकिन मार्च से बढ़े असर के बाद उसने इसे बदल दिया है।  

गोल्डमैन सैक्श का अनुमान है कि यह 2021 मार्च से 2022 अप्रैल के बीच 11.1% के बीच रह सकता है। जबकि पहले इसका अनुमान 11.7% का था। इसी तरह नोमुरा ने पहले 13.5% की विकास दर का अनुमान जताया था, जो अब घटाकर इसे 12.6% कर दिया है। जेपी मोर्गन ने 13% के अनुमान को घटाकर 11% जबकि यूबीएस ने 11.5% के अनुमान को घटा कर 10% कर दिया है। सिटी ने 12.5% की विकास दर का अनुमान लगाया था। इसने इसे 12% कर दिया है। 

इनके अलावा देश के रिजर्व बैंक (RBI) ने इस चालू वित्त वर्ष में 10.5% की विकास दर की उम्मीद जताई है। जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने 12.5% और विश्व बैंक (World bank) ने 10.1% की विकास दर की उम्मीद जताई है। इन सारे अनुमानों से ऐसा लग रहा है कि कोरोना के इस घातक फैलाव के बावजूद देश की विकास दर इस वित्त वर्ष में 10% से ज्यादा ही रह सकती है। 

देश में शहरों के लगातार लॉकडाउन होने की घटना बढ़ रही है। साथ ही कोरोना का असर भी तेजी से हो रहा है। नए मामलों में दुनिया में भारत सबसे बुरी स्थिति में है। करीबन 3.5 लाख नए मामले कोरोना के रोज आ रहे हैं। जबकि 2.25 लाख मौत हो चुकी है। मोदी सरकार राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को हालांकि अभी तक टाल रही है, पर कोरोना की जो टीम है, उसने पूरी तरह से लॉक डाउन लगाने की वकालत की है। देश में मुंबई, दिल्ली, बिहार सहित कई राज्य और शहर पहले से ही लॉकडाउन में हैं।  

देश में अप्रैल में कुल 75 लाख लोग बेरोजगार हुए हैं। सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में बुरी तरह से रोजगार पर असर हुआ है और मई में भी ऐसा ही कुछ दिख सकता है। नए रोजगार के मामलों में भी गिरावट आ रही है। गोल्डमैन सैक्श ने कहा कि अधिकतर इंडिकेटर्स यही कह रहे हैं कि इस लॉकडाउन और कोरोना का असर देश की GDP पर दिखेगा। 

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