6 महीने बाद फिर से FII ने पैसा निकालना शुरू किया, अप्रैल में 9,659 और मई में 5,936 करोड़ निकाले
मुंबई– भारतीय इक्विटी बाजार में आगे गिरावट आ सकती है। कारण साफ है कि एक तो कोरोना की दूसरी लहर में तेजी और साथ ही विदेशी निवेशकों (FII) का इक्विटी बाजार से लगातार पैसा निकालना। 6 महीने बाद विदेशी निवेशकों ने पैसा निकालना शुरू किया है।
आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में भारतीय इक्विटी बाजार से FII ने 9,659 करोड़ रुपए निकाले थे। मई में 5,936 करोड़ रुपए निकाले हैं। हालांकि इस कैलेंडर साल यानी जनवरी से मई में अब तक इन्होंने 40,147 करोड़ रुपए का निवेश ही किया है। पर अप्रैल से लगातार निकासी बाजार को प्रभावित कर सकती है।
आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में 7,783 करोड़ रुपए विदेशी निवेशकों ने निकाले थे। उसके बाद से लगातार ये पैसे का निवेश कर रहे थे। नवंबर और दिसंबर में तो 60-60 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश था। जबकि जनवरी 2021 में 19,473 करोड़ रुपए और फरवरी में 25,783 करोड़ रुपए इन निवेशकों ने भारतीय बाजार में लगाए थे। मार्च में 10 हजार 482 करोड़ रुपए का निवेश किया गया था।
वैसे देखा जाए तो शेयर बाजार 52 हजार के पार जाकर वहां से अब 49-50 हजार के दायरे में ही कारोबार कर रहा है। यह आगे चलकर गिरावट में आ सकता है। बाजार के जानकार निवेशकों को सलाह दे रहे हैं कि वे इक्विटी से अपना निवेश निकाल कर डेट में कर दें। यानी एफडी या फिर डेट म्यूचुअल फंड या फिर किसी और जगह। क्योंकि अभी तक जो मुनाफा कमाया है, वह बाजार की गिरावट में कम हो सकता है।
बाजार के जानकार कहते हैं कि आने वाले दिनों में बाजार में दबाव बनने की आशंका है। क्योंकि देश में कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने में समय है और अमेरिकी सहित दुनिया की अन्य इकोनॉमी रिकवर कर रही हैं, जिससे डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है। नतीजा यह है कि विदेशी निवेशक घरेलू बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। भारत में रोजाना कोरोना के नए मरीजों की संख्या 4 लाख से ऊपर है। जबकि मौतों की संख्या अब 4 हजार से ऊपर है। वैक्सीन की डोज सभी को देने में भी काफी समय लगेगा।
जिस तरह से राज्यों ने लॉकडाउन लगाया है और आर्थिक गतिविधियों पर असर दिख रहा है, ऐसे में बाजार को सपोर्ट मिलना मुश्किल है। माना जा रहा है कि दूसरी छमाही में कोरोना का असर कम होने पर बाजार में रिकवरी दिख सकती है। साथ ही यह भी है कि इस चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर में भी गिरावट आने की आशंका जताई गई है। ऐसे में इक्विटी बाजार पर इन सबका असर दिखेगा।