अस्पतालों के खिलाफ शिकायत के लिए नहीं है कोई प्लेटफॉर्म, बीमा कंपनियों की गलती पर कार्रवाई कर सकता है लोकपाल
मुंबई– इस समय देश में कोरोना की वजह से मरीजों से अस्पताल भरे पड़े हैं। ऐसे में कई सारी शिकायतें आ रही हैं कि अस्पताल कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं दे रहे हैं। लेकिन अस्पताल की इस गलती या रवैये के लिए बीमा कंपनियां जिम्मेदार नहीं हैं। क्योंकि अस्पताल पर कार्रवाई करने के लिए हमारे देश में कोई रेगुलेटर ही नहीं है। बीमा कंपनियों पर तो कार्रवाई के लिए रेगुलेटर भी है।
बीमा कंपनियां जो भी आपको हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जारी करती हैं, उसके तहत आप उन्हीं अस्पतालों में कैशलेस इलाज करवा सकते हैं जिनके साथ अस्पताल इम्पैनल्ड हैं यानी जुड़े हैं। यहां इंपैनल्ड का मतलब बीमा कंपनियों के साथ अस्पतालों का एक तरह से एग्रीमेंट होता है। इसे नेटवर्क अस्पताल बोलते हैं। अस्पताल और बीमा कंपनियों के बीच एक थर्ड पार्टी होता है जिसे टीपीए कहते हैं। आप का जो भी दावा होगा, वह इसी थर्ड पार्टी के जरिए दिया जाता है।
नेटवर्क अस्पताल में आप अगर भर्ती होते हैं तो यहां पर कैशलेस इलाज की सुविधा होती है। साथ ही सभी खर्चे पहले से तय होते हैं। यानी कौन सी दवा कितने में है, या किस पर कितना खर्च आएगा, यह सब कुछ तय होता है। अब अगर आप बिना नेटवर्क वाले अस्पताल में जाते हैं तो आपको पहले पैसा देना होता है फिर आपको वह बीमा कंपनी वापस देती है।
नेटवर्क अस्पताल में ज्यादा बिल की संभावना कम रहती है। पर बिना नेटवर्क में अगर अस्पताल ज्यादा बिल लगाता है तो उसमें बीमा कंपनी काट कर पैसे देगी। वैसे नेटवर्क अस्पताल भी अगर ज्यादा पैसा लगाता है तो यह बीमा कंपनी का अधिकार नहीं है कि वह कोई एक्शन लेगी। अस्पताल कितना पैसा वसूलता है, इसके लिए आप शिकायत बीमा कंपनी या रेगुलेटर के पास नहीं कर सकते हैं।
बीमा कंपनियों के पास आप वही शिकायत कर सकते हैं जो उनसे जुड़ा मामला है। यानी आपका पैसा नहीं मिल रहा हो, या बीमा कंपनी कुछ और बता रही हो या फिर बीमा कंपनी आपके दावों को न मान रही हो, तो आप बीमा कंपनी के खिलाफ ओंबुड्समैन यानी लोकपाल के पास जा सकते हैँ। आज की स्थिति यह है कि सारे अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं। जो भी नेटवर्क अस्पताल होते हैं वे बड़े अस्पताल होते हैं। ऐसे में उन अस्पतालों में आपको अभी जगह मिलनी मुश्किल है। इसलिए लोग छोटे अस्पतालों में जा रहे हैं, जहां पर बीमा कंपनियां नेटवर्क नहीं की हैं और वहां पर पहले पैसा जमा कराया जा रहा है।
बीमा लोकपाल के पास आप अगर अस्पताल के खिलाफ शिकायत करते हैं तो वह आपकी शिकायत सरकार के पास भेजेगा। अब इस पर कार्रवाई करने का मामला भी सरकार के हाथ में है। ओंबुड्समैन एक बस काउंसिलर या मिडिएटर की भूमिका में होता है। हालांकि इतनी सारी शिकायतों पर कार्रवाई होना भी मुश्किल है। बीमा लोकपाल के पास अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई अधिकार है ही नहीं। इरडाई ने यही कहा है कि सभी अस्पताल कैशलेस सुविधा दें। लेकिन अगर अस्पताल यह सुविधा नहीं देंगे तो इरडाई कुछ नहीं कर सकता है।
देश में टीपीए और नेटवर्क अस्पताल की संख्या काफी कम है। साथ ही हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों की भी संख्या कम है। वैसे तो 30-40 करोड़ लोगों के पास देश में हेल्थ इंश्योरेस है, पर इसमें से ज्यादातर लोग कंपनियों की हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के तहत कवर हैं। ऐसे में कोरोना के जो मरीज आ रहे हैं, उनमें से काफी लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है।