चांदी में 10,000 का निवेश 25 साल में 26 गुना बढ़ा, सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश के रूप में चमकती रही

मुंबई- सोने की चमक के पीछे चांदी दशकों से एक भरोसेमंद निवेश के तौर पर चुपचाप अपनी जगह बनाए हुए है। यह कीमती धातु उथल-पुथल, महंगाई और वैश्विक अनिश्चितता के दौर में भी काफी हद तक स्थिर रही है। लंबे समय में इसका प्रदर्शन शानदार रहा है। इसने इसे शेयर और बॉन्ड से हटकर अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने वाले निवेशकों का पसंदीदा बना दिया है। चांदी के ऐतिहासिक रुझानों पर करीब से नजर डालने से पता चलता है कि यह आज भी धन बचाने के लिए महत्वपूर्ण संपत्ति क्यों बनी हुई है।

साल 2000 में अगर किसी ने चांदी में ₹10,000 का निवेश किया होता और 25 साल तक बनाए रहता तो आज वह ₹2,64,550 का मालिक होता। इसका मतलब है कि निवेश 26 गुना बढ़ गया होता। यह लंबे समय तक निवेश करने के फायदे और समय के साथ धन को सुरक्षित रखने और बढ़ाने में चांदी की क्षमता को दर्शाता है।

साल 2000 में भारत में चांदी की औसत कीमत करीब 7,900 रुपये प्रति किलोग्राम थी। आज चांदी 2.17 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के करीब कारोबार कर रही है। इसने लंबे समय के निवेशकों को 2,600% से अधिक का रिटर्न दिया है। सदी की शुरुआत में चांदी को ज्यादातर एक औद्योगिक धातु माना जाता था। इसकी मांग में उतार-चढ़ाव आता रहता था। बहुत कम लोग इसे लंबे समय में धन बनाने वाला मानते थे। हालांकि, सालों से चांदी के प्रदर्शन ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है।

सोना की तरह चांदी भी लगभग चार दशकों से महंगाई और बाजार की अस्थिरता के खिलाफ एक मजबूत ढाल का काम कर रही है। ऐतिहासिक विश्लेषण से पता चलता है कि जिन सालों में घरेलू शेयर बाजार में निगेटिव रिटर्न मिला, उन सालों में चांदी ने निवेशकों के पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान की। शेयर बाजार में कई बार तेजी और मंदी के साइकिल आए। इनमें डॉट-कॉम क्रैश, वैश्विक वित्तीय संकट, महामारी के कारण आई अस्थिरता और हालिया भू-राजनीतिक तनाव शामिल हैं। इन सबके बावजूद चांदी ने मूल्य के भंडार के रूप में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी।

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