मजबूत विनिर्माण और विदेशी मांग से निजी क्षेत्र की आर्थिक स्थिति मजबूत

मुंबई- देश के निजी क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई में मजबूत रही है। इसे मजबूत विनिर्माण और विदेशी मांग से समर्थन मिल रहा है। लेकिन बढ़ती महंगाई और कमजोर रोजगार सृजन ने इस विस्तार को धीमा कर दिया है। समग्र विकास में नरमी के साथ कारोबारी विश्वास में भी गिरावट आई। यह दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया।

एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कंपनियों ने बढ़ते मूल्य दबाव और बढ़ती प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंता व्यक्त की। अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को लेकर अनिश्चितता ने भी धारणा को प्रभावित किया। एसएंडपी ग्लोबल की ओर से संकलित जुलाई का एचएसबीसी फ्लैश इंडिया कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 60.7 दर्ज किया गया। यह जून के 61.0 से थोड़ा कम है। पिछले चार वर्षों से इस आंकड़े में निरंतर वृद्धि दिख रही है।

एचएसबीसी की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, कुल बिक्री, निर्यात ऑर्डर और उत्पादन स्तर में वृद्धि से मजबूत प्रदर्शन को बल मिला। भारतीय निर्माताओं ने तीनों मानकों के लिए सेवाओं की तुलना में तेजी से विस्तार दर्ज करते हुए अग्रणी भूमिका निभाई। इस महीने विकास का प्रमुख चालक विनिर्माण क्षेत्र रहा। इसका फ्लैश पीएमआई 58.4 से बढ़कर 59.2 पर पहुंच गया। यह 17 वर्षों में सबसे ऊंचा स्तर है। इसके विपरीत, सेवा गतिविधि सूचकांक 60.4 से गिरकर 59.8 पर आ गया। यह ऐतिहासिक रूप से तेज लेकिन धीमी गति से विस्तार की दर को दर्शाता है।

नए ऑर्डरों में एक वर्ष में सबसे तेज गति से वृद्धि हुई। इसे एशिया, यूरोप और अमेरिका में विदेशी ग्राहकों की मजबूत मांग से बल मिला। विशेष रूप से विनिर्मित वस्तुओं के लिए नए ऑर्डर लगभग पांच वर्ष के उच्च स्तर पर पहुंच गए। भंडारी ने कहा, मजबूत प्रदर्शन के बावजूद सतर्कता के संकेत भी दिख रहे हैं। व्यावसायिक विश्वास मार्च,2023 के बाद से सबसे निचले स्तर पर आ गया है।

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