174 रुपये का खाना समय पर नहीं मिला, देना पड़ा 11 हजार रुपये जुर्माना
मुंबई- जब रेस्टोरेंट बिना आपको बताए फूड ऑर्डर कैंसिल कर दे या फिर फूड डिलीवरी में जरूरत से ज्यादा वक्त ले तो क्या करेंगे? वैसे तो अधिकांश मामलों में ऐप बेस्ड फूड डिलीवरी कंपनियां आपको रिफंड अमाउंट या फूड कूपन ऑफर करके मामले को रफा दफा कर देती है, लेकिन अगर आप थोड़ी सी सक्रियता दिखाएं तो आप मुआवजा पा सकते हैं।
7 नवंबर 2019 को भठिंडा के रहने वाले मोहित गुप्ता ने स्विगी से अफगानी चाप रोल ऑर्डर किया। फूड कूपन के अलावा उसने 174 रुपये ऑनलाइन पे किए। मोहित खाने का इंतजार करते रहे, लेकिन 30 मिनट बाद बिना उनको कुछ बताए स्विगी ने ऑर्डर को कैंसिल कर दिया। रिफंड के तौर पर मात्र 74 रुपये लौटा दिए।
जब मामला उपभोक्ता अदालत में पहुंचा तो कोर्ट ने स्विगी को 11000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। ये कोई पहला मामला नहीं है। पिछले साल अगस्त में इसी तरह का एक और खबर आई। जहां पिज्जा ऑर्डर कैंसिल करने पर फूड डिलीवर कंपनी को 10 हजार का हर्जाना भरना पड़ा। इसी तरह से बीते साल नवंबर में केरल की उपभोक्ता अदालत ने फूड एग्रीगेटर को 8362 रुपये मुआवजा ग्राहक को देने का निर्देश दिया।
ऐसे मामलों की संख्या हजारों में है, जहां फूड ऑर्डर कैंसिल करने पर कंपनियों को मुआवजा देना पड़ा है। ऐसे में जब आपके साथ भी ऐसा हो और ऑर्डर के बाद भी आपका खाना आप तक नहीं पहुंचे तो आप भी मुआवजे पा सकते हैं। इसके लिए आपको बस थोड़ी सी सक्रियता दिखानी होती है। वक्त पर शिकायत दर्ज करवाकर आप फूड डिलीवरी कंपनियों की मनमानी पर नकेल कस सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के वकील आदित्य परोलिया के मुताबिक फूड डिलीवरी पार्टनर और रेस्टोरेंट दोनों ही सर्विस प्रोवाइडर है। ऐसे में ग्राहकों के साथ हुए धोखे के लिए दोनों ही जिम्मेदार है। बेसिक फैक्ट यही है कि फूड एग्रीगेटर एप्लिकेशन ग्राहकों से सीधे पैसा लेता है। टाइम से ऑर्डर डिलीवर करने के लिए उनसे ज्यादा चार्ज लिया जाता है। ऐसे में ये उसकी जिम्मेदारी है कि ऑर्डर ग्राहकों तक समय पर पहुंचे। अगर ऑर्डर उन तक नहीं पहुंचता है तो फूड एग्रीगेटर एप्लिकेशन को इसका हर्जाना भरना चाहिए।