दाम बढ़ने से चीनी मिलें निर्यात के लिए तैयार नहीं, 6 लाख टन का है कांट्रैक्ट

मुंबई- भारतीय चीनी मिलें स्थानीय कीमतों में वृद्धि के कारण आगे के निर्यात सौदों पर हस्ताक्षर करने से बच रही हैं। अभी उनके पास छह लाख टन निर्यात करने के अनुबंध हैं। इसमें से 2.5 लाख टन भेज भी दिया है। भारत से चीनी निर्यात की धीमी गति से वैश्विक कीमतों को समर्थन मिलेगा, जो तीन वर्षों के न्यूनतम स्तर पर हैं।

पिछले वर्ष घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निर्यात रोकने के बाद भारत ने जनवरी में चालू सीजन के दौरान 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी, ताकि मिलों के पास जो ज्यादा भंडार हैं, उनको वो निर्यात कर सकें। हालांकि, घरेलू बाजार में चीनी के दाम बढ़ रहे हैं और कम उत्पादन और मांग के कारण दाम और बढ़ने की उम्मीद है। पिछले महीने कीमतों में तेजी के बाद इस महीने निर्यात धीमा हो गया है।

विपणन वर्ष 2024/25 में भारत का चीनी उत्पादन 2.9 करोड़ टन की वार्षिक खपत की तुलना में घटकर 2.58 करोड़ टन रहने का अनुमान है। भारत में गर्मियों में मार्च के मध्य से जून के मध्य तक, कोल्ड ड्रिंक्स और आइसक्रीम की खपत बढ़ने से चीनी की मांग बढ़ जाती है।

अफगानिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई देशों को भारत चीनी बेचता है। 2022-23 तक के पांच वर्षों के दौरान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भारत था, जिसका औसत सालाना वॉल्यूम 68 लाख टन था।

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