बार-बार केवाईसी से मिलेगा छुटकारा, सेंट्रल केवाईसी लॉन्च करने की योजना

मुंबई- सरकार ने 2025 तक नई और एडवांस सेंट्रल KYC रजिस्ट्री लॉन्च करने का प्रस्ताव दिया है। यह कदम KYC प्रक्रिया को आसान और प्रभावी बनाने के लिए उठाया जा रहा है। अपने बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “KYC प्रक्रिया को सरल बनाने की पिछली घोषणा को लागू करने के लिए, नई सेंट्रल KYC रजिस्ट्री 2025 में लॉन्च की जाएगी। KYC रिकॉर्ड को समय-समय पर अपडेट करने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रणाली भी लागू की जाएगी।”

सेंट्रल KYC रजिस्ट्री एक केंद्रीय डेटाबेस है, जहां फाइनैंशियल सेक्टर के सभी ग्राहकों के KYC रिकॉर्ड एक समान और सुरक्षित तरीके से रखे जाते हैं। इसका उद्देश्य ग्राहकों को बार-बार KYC डॉक्यूमेंट प्रस्तुत करने की आवश्यकता को कम करना है। जब भी कोई ग्राहक किसी नई वित्तीय संस्था से जुड़ता है, तो इस डेटाबेस के माध्यम से पहले से उपलब्ध KYC रिकॉर्ड का उपयोग किया जा सकता है। इसका उपयोग म्युचुअल फंड्स, स्टॉक ब्रोकर, बीमा कंपनियां, बैंक और SEBI में रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार KYC डेटा को वेरिफाई और डाउनलोड करने के लिए कर सकते हैं।

अगर किसी एक संस्था द्वारा KYC डेटा को इस प्लेटफॉर्म पर अपडेट किया जाता है, तो अन्य सभी वित्तीय संस्थाओं को रियल-टाइम अपडेट मिल जाता है। इससे बार-बार पंजीकरण और डेटा अपडेट की आवश्यकता समाप्त होती है, जिससे कंपनियों की लागत में काफी कमी आती है।

यूनिक KYC पहचानकर्ता (Unique KYC Identifier) को स्वतंत्र पहचान प्रमाणों से जोड़ा जाता है। डिजिटल रूप में सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में KYC डेटा और दस्तावेज संग्रहीत होते हैं। KYC सर्च, अपलोड, डाउनलोड और अपडेट की सुविधा देती है।

बजट 2025 में सेंट्रल KYC (CKYC) सिस्टम को और बेहतर बनाया जाएगा। इसमें AI तकनीक से पहचान की जांच और दस्तावेजों का वेरिफिकेशन होगा। डिजिलॉकर के जरिए ग्राहक अपने KYC दस्तावेज सुरक्षित रख और एक्सेस कर सकेंगे। ग्राहकों को OTP के जरिए अपनी जानकारी तक पहुंच को मंजूरी या इनकार करने का विकल्प मिलेगा। KYC दस्तावेज सरकारी डेटाबेस से क्रॉस-वेरिफाई किए जाएंगे ताकि धोखाधड़ी रोकी जा सके। इसके अलावा, वित्तीय संस्थाएं मुफ्त में KYC रिकॉर्ड अपलोड कर सकेंगी, जिससे इसका उपयोग ज्यादा लोगों तक होगा।

सेंट्रल KYC रजिस्ट्री का उपयोग केवल अधिकृत संस्थाएं या भारत सरकार द्वारा अधिसूचित संस्थाएं कर सकती हैं, जो प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट या इसके तहत बनाए गए नियमों का पालन करती हैं। इसमें RBI, SEBI, IRDA और PFRDA जैसे नियामक शामिल हैं। म्युचुअल फंड कंपनियां, कैपिटल मार्केट प्लेयर्स, बीमा कंपनियां और पेंशन फंड कंपनियां पहले से ही CKYC रजिस्ट्री का उपयोग KYC डिटेल्स की जांच (वेरिफिकेशन) के लिए कर रही हैं।

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