जानिए क्या होता है स्टैंडर्ड डिडक्शन, सरकार देती है 75,000 रुपये की राहत

मुंबई- बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सैलरी पाने वाले कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए पुराने और नए दोनों टैक्स सिस्टम में स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ बरकरार रखा है। हालांकि, कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार मिडिल क्लास को राहत देने के लिए इसे बढ़ा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

बता दें कि स्टैंडर्ड डिडक्शन एक निश्चित राशि होती है, जो टैक्सेबल सैलरी इनकम से घटा दी जाती है। इससे टैक्सपेयर्स को अपनी आय में कटौती का फायदा मिलता है, और इसके लिए किसी तरह के दस्तावेज या सबूत देने की जरूरत नहीं होती।

उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति की सालाना टैक्सेबल इनकम 10 लाख रुपए है और उसे 75,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है, तो उसकी टैक्स योग्य इनकम घटकर 9,25,000 रुपए रह जाएगी।

नए टैक्स सिस्टम में वेतनभोगियों और पेंशनर्स को 75,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा। इस वजह से, बजट में घोषित 12 लाख रुपए की नई कर मुक्त सीमा के साथ टैक्स फ्री इनकम की सीमा बढ़कर 12.75 लाख रुपए हो गई है।

पुराने टैक्स सिस्टम में स्टैंडर्ड डिडक्शन पहले की तरह 50,000 रुपए ही रहेगा। हालांकि, इस व्यवस्था में करदाताओं को धारा 80C (1.5 लाख रुपए तक की छूट), धारा 80D (स्वास्थ्य बीमा पर छूट), और HRA (हाउस रेंट अलाउंस) जैसी अन्य कटौतियों का लाभ मिलता रहेगा।

कई विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी कि सरकार इसे बढ़ा सकती है, लेकिन वित्त मंत्री ने सिर्फ मौजूदा सीमा को दोहराया, उसमें कोई बदलाव नहीं किया। वित्त वर्ष 2024-25 से नए टैक्स सिस्टम में स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 रुपए से बढ़ाकर 75,000 रुपए कर दिया गया था। लेकिन, पुराने टैक्स सिस्टम में यह अब भी 50,000 रुपए ही बना हुआ है।

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