डिजिटल पहुंच वाली जमा के लिए बैंकों को अलग रखनी होगी ज्यादा राशि

मुंबई- तेजी से बढ़ रही डिजिटल बैंकिंग बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए संकट भी बनता जा रहा है। पर्याप्त तरलता को बनाए रखने के लिए आरबीआई डिजिटल से जुड़ी जमाराशि के मामले में ज्यादा रकम अलग से रखने के फैसले पर कायम रह सकता है।

प्रस्तावित नियमों में सभी बैंकों की तरलता स्थिति पर विचार किया गया है। आरबीआई अगले साल अप्रैल से इस नियम को लागू करेगा। उससे पहले इंडियन बैंक एसोसिएशन यानी आईबीए ने आरबीआई से पांच फीसदी के नियम को घटाकर दो या तीन फीसदी तक करने की अपील की थी। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ आईबीए की इस अपील से नाखुश भी हैं।

इस साल जुलाई में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रस्ताव दिया था कि इंटरनेट या मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से तुरंत और ज्यादा निकासी के मामलों में बैंक जोखिमों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करें। इसके लिए बैंकों को डिजिटल पहुंच वाली जमा पर पांच फीसदी की अतिरिक्त रकम अलग रखनी होगी। इसका उद्देश्य अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक के दिवालिया होने जैसी स्थिति को रोकना है। पिछले साल मार्च में जमा राशि की कमी के कारण सिलिकॉन वैली बैंक के पतन ने विश्व स्तर पर केंद्रीय बैंकों को सतर्क कर दिया था।

रेटिंग एजेंसी मूडीज का अनुमान है कि भारत में खुदरा और छोटे कारोबारी खातों में लगभग दो तिहाई जमा राशि होती है। इनमें से 50 फीसदी से ज्यादा रकम तक डिजिटल पहुंच है। यदि प्रस्तावित नियम लागू होते हैं तो बैंकों को तरलता का प्रबंधन करना होगा। इससे सरकारी बांड की मांग बढ़ने की उम्मीद है। आरबीआई अभी भी फीडबैक को इकट्ठा कर रहा है। नियमों को अंतिम रूप देने से पहले शीर्ष प्रबंधन की ओर से इसकी समीक्षा की जाएगी।

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