कनाडा में धोखाधड़ी के शिकार भारतीय छात्रों को केस का समर्थन करने को मिलेगा मौका 

मुंबई- कनाडा में धोखाधड़ी के शिकार हुए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को निर्वासन के खिलाफ अपने मामले का समर्थन करने का मौका मिलेगा। कुछ समय पहले कनाडा की सीमा सुरक्षा एजेंसी (सीबीएसए) ने 700 से अधिक भारतीय छात्रों को निर्वासन नोटिस जारी किया था। इन छात्रों के प्रवेश पत्र शैक्षणिक संस्थानों को फर्जी पाए गए थे। 

कनाडाई इमिग्रेशन मंत्री शॉन फ्रेजर ने कहा है कि इमिग्रेशन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) धोखाधड़ी स्वीकृति पत्रों की हालिया रिपोर्टों की सक्रिय रूप से जांच कर रहा था। एक ट्वीॉट में उन्होंने कहा, हमारा ध्यान दोषियों की पहचान करने पर है, न कि पीड़ितों को दंडित करने पर। धोखाधड़ी के शिकार लोगों को अपनी स्थिति प्रदर्शित करने और अपने मामले का समर्थन करने के लिए सबूत पेश करने का अवसर मिलेगा। 

उन्होंने कहा, हम हमारे देश में आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अपार योगदान को पहचानते हैं। धोखाधड़ी के शिकार लोगों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि हम प्रत्येक मामले का मूल्यांकन करते हैं। कनाडा संस्थानों के साथ मिलकर यह सत्यापित करने के लिए भी काम कर रहा है कि स्वीकृति पत्र आवेदन के समय मान्य हैं। 

जालंधर स्थित स्टडी फॉरेन फर्म को 2018 और 2022 के बीच छात्रों के लगभग 700 फर्जी वीजा आवेदनों की फाइलें मिली हैं। एक बार जब छात्र कनाडा में पहुंच गए तो उनको कॉलेजों में सीटें नहीं मिलीं और छोटे-मोटे कॉलेजों में प्रवेश लेना पड़ा। छात्रों ने पाठ्यक्रम और काम की जरूरतों को पूरा करने पर कनाडा के स्थायी निवास के लिए आवेदन किया और संबंधित दस्तावेज जमा किए। परेशानी तब शुरू हुई जब सीबीएसए ने छात्रों को दिए गए वीजा के आधार पर दस्तावेजों की जांच की और प्रवेश पत्र को फर्जी पाया। सभी छात्रों को सुनवाई का अवसर देने के बाद निर्वासन नोटिस जारी कर दिया गया। 

उपरोक्त सभी भारतीय छात्र तीन साल पहले स्टूडेंट वीजा पर कनाडा गए थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और पोस्ट ग्रेजुएशन वर्क परमिट के जरिए कनाडाई काम के अनुभव को भी हासिल किया। भारतीय छात्रों को अपने साथ हुई धोखाधड़ी के बारे में तब मालूम चला, जब उन्होंने परमानेंट रेजिडेंस (पीआर) के लिए अप्लाई किया। कनाडा बॉर्डर सिक्योरिटी एजेंसीकी गई जांच में खुलासा किया गया कि कनाडा के संस्थानों के दिए गए शुरुआती ऑफर लेटर फर्जी थे। निर्वासन नोटिस मिले के बाद छात्रों को फिर से भारत लौटना था। 

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