नोटिस का जवाब नहीं देने वालों की जांच करेगा आयकर विभाग 

मुंबई- आयकर विभाग अब नई जांच की तैयारी में है। इसके तहत ऐसे आयकरदाता जिन्होंने विभाग के भेजे गए नोटिस का जवाब नहीं दिया है, उनके मामलों की जांच अनिवार्य रूप से की जाएगी। उन मामलों की भी जांच की जाएगी, जहां कर चोरी के संबंध में विशिष्ट जानकारी किसी कानून प्रवर्तन एजेंसियों या नियामक प्राधिकरणों ने दी है। 

आयकर विभाग ने रविवार को कहा, कर अधिकारियों को आय में गड़बड़ियों के बारे में आयकरदाताओं को 30 जून तक नोटिस भेजना होगा। इसके बाद आयकरदाता को इस बारे में संबंधित दस्तावेज पेश करने होंगे। अधिनियम की धारा 142(1) के तहत नोटिस के जवाब में कोई रिटर्न नहीं दिया गया है तो ऐसे मामले को नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर (एनएएफएसी) को भेजा जाएगा, जो आगे की कार्रवाई करेगा। 

आयकर विभाग ऐसे मामलों की सूची जारी करेगा, जिनमें सक्षम प्राधिकरण द्वारा छूट को रद्द या वापस किए जाने के बावजूद आयकरदाता आयकर रियायत या कटौती की मांग करता है। 

उधर, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने वित्त वर्ष 2019-20 और उसके बाद जीएसटी रिटर्न की स्क्रूटनी के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (एसओपी) जारी कर दिया है। इनका इस्तेमाल जीएसटी की एनालिटिक्स यूनिट की ओर से विभिन्न प्रकार के जोखिम के आधार पर जीएसटी रिटर्न की स्क्रूटनी करने के लिए किया जाएगा। 

एसओपी के मुताबिक, स्क्रूटनी के लिए जीएसटी रिटर्न का चयन डायरेक्टरेट जनरल ऑफ एनालिटिक्स एंड रिस्क मैनेजमेंट (डीजीएआरएम) की ओर से किया जाएगा। इसके बाद चुने हुए जीएसटीआईएन से जुड़ी सभी जानकारी उससे जुड़े हुए केंद्रीय कर अधिकारी के स्क्रूटनी डैशबोर्ड पर दिखाई देगी। 

एसओपी के अनुसार, चूंकि जोखिम मापदंडों की गणना के लिए डैशबोर्ड पर उपलब्ध कराए गए डेटा को एक विशेष पाइंट के समय पर उत्पन्न किया गया है, इसलिए इस डेटा में रिटर्न की जांच के समय बदलाव हो सकता है। 

संबंधित केंद्रीय कर अधिकारी को हर महीने कम से कम 4 जीएसटीआईएन से संबंधित रिटर्न की जांच करनी होगी। इसमें एक वित्त वर्ष से संबंधित सभी रिटर्न की जांच शामिल होगी, जिसके लिए उक्त जीएसटीआईएन को जांच के लिए चुना गया है। जहाँ तक संभव हो, रिटर्न की जांच में उचित अधिकारी और पंजीकृत व्यक्ति के बीच एक न्यूनतम इंटरफेस होना चाहिए। सामान्य रूप से फॉर्म जीएसटी एएसएमटी-10 जारी करने से पहले पंजीकृत व्यक्तियों से दस्तावेज मांगने की कोई जरूरत नहीं होगी। 

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