नई योजनाओं पर खर्च का जरिया बजट में हो स्पष्ट,पारदर्शिता की जरूरत
नई दिल्ली। अगले साल पेश होने वाले बजट में ज्यादा पारदर्शिता की जरूत है। वर्तमान और भविष्य में किसी भी नई योजना के लिए जो भी वित्त की जरूरतें हों, उनका जरिया स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि सरकार राजस्व के एक बड़े हिस्से को कर्ज पर ज्यादा ब्याज के रूप में भुगतान कर रही है। सरकार को केवल उत्पादकता वाले क्षेत्रों के लिए उधारी लेनी चाहिए, जो ज्यादा कर और अन्य राजस्व को जुटा सके।
गोयल ने बताया कि पिछले 10 महीने यूक्रेन युद्ध वाले रहे हैं। इसने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा और खाद्य कीमतों को बढ़ाया है। इसके लिए भारत विशेष रूप से संवेदनशील है। यह महामारी के बाद हुआ, जिसने आपूर्ति-श्रृंखलाओं के टूटने के कारण वैश्विक वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ा दी थीं।
गोयल ने कहा, वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटा को जीडीपी के अनुपात में 4.5 फीसदी पर रखे जाने की कोशिश होनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि सब्सिडी कम हो सकती है क्योंकि खाद्य और ऊर्जा की कीमतें कम हो रही हैं।
गोयल ने कहा कि साल 2000 के दशक में की गई गलती से बचा जाना चाहिए। उस समय टैक्स राजस्व से ज्यादा खर्च किया गया था। मौजूदा व्यापक आर्थिक नीति अच्छी है और इसे जारी रहना चाहिए क्योंकि वैश्विक जोखिम कम नहीं हुए हैं। रणनीति में कमजोर लोगों के लिए आवश्यक सहायता देते हुए निवेश को प्राथमिकता देना चाहिए।