भारत- रूस के बीच रुपये में नहीं हो पाएगा कारोबार, महीनों से चल रही थी चर्चा
मुंबई- महीनों की बातचीत के बाद रूस तो राजी करने में विफल रहने के बाद भारत और रूस ने द्विपक्षीय व्यापार को रुपये में निपटाने के प्रयासों को अब खत्म कर दिया है। यह कदम रूस से सस्ते तेल और कोयले का आयात करने वाले भारतीय आयातकों के लिए एक बड़ा झटका होगा, क्योंकि रुपये में कारोबार से उनको लागत कम करने में मदद मिल जाती।
एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि रूस का मानना है कि अगर इस तरह की व्यवस्था की जाती है तो यह वार्षिक 40 अरब डॉलर से अधिक के रुपये के सरप्लस के साथ समाप्त हो जाएगा और रुपये को रखना कोई आकर्षक नहीं है। रुपया पूरी तरह परिवर्तनीय नहीं है। सामान के वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी भी लगभग 2 फीसदी है और ये कारक अन्य देशों के लिए रुपये रखने की आवश्यकता को कम करते हैं।
भारत ने पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर आक्रमण के तुरंत बाद रूस के साथ रुपये के निपटान तंत्र के लिए संभावना तलाशना शुरू की थी। दोनों देशों के बीच अधिकांश व्यापार डॉलर में होता है। कुछ कारोबार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की मुद्रा दिरहम जैसी अन्य मुद्राओं में भी होता है। पिछले साल 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से रूस से भारत का आयात 5 अप्रैल तक बढ़कर 51.3 अरब डॉलर हो गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 10.6 अरब डॉलर था।
एक अधिकारी ने कहा, भारत और रूस ने स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को सुविधाजनक बनाने के बारे में बात की है लेकिन दिशानिर्देशों को औपचारिक रूप नहीं दिया गया। रूस रुपए में सहज नहीं है। वह चीनी यूआन या अन्य मुद्राओं में भुगतान करना चाहता है। हम रुपये के निपटान को और आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि यह तरीका अभी काम नहीं कर रहा है। भारत ने इस काम को करने के लिए हर संभव प्रयास किया है, लेकिन इससे कोई मदद नहीं मिली है।