इस साल सभी निवेश की तुलना में सोने ने दिया निवेशकों को ज्यादा फायदा
मुंबई-सोने की कीमत पिछले हफ्ते भारत में ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई। दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने का भाव पहली बार 61,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार चला गया था। इस साल सोने में नौ फीसदी तेजी आई है। वह इक्विटी और डेट समेत कई अधिकांश एसेट क्लास पर भारी पड़ा है।
महंगाई और ग्लोबल इकॉनमी में सुस्ती से सोने की चमक बढ़ी है। बीते साल दुनियाभर के सेंट्रल बैंक्स ने सोने की रेकॉर्ड खरीद की। गोल्ड को हमेशा से बॉन्ड की तरह सुरक्षित एसेट माना जाता है। अनिश्चितता के दौर में हमेशा सोने की चमक बढ़ी है।
बैंकिंग संकट, मंदी की आशंका, शेयर मार्केट में उतारचढ़ाव, अमेरिकी डॉलर में गिरावट, महंगाई और जियोपॉलिटिकल तनावों ने सोने को एक बार फिर हॉट एसेट बना दिया है। जानकारों का कहना है कि इस साल सोना 11 परसेंट रिटर्न दे सकता है।
इस साल जनवरी से अब तक सोने में नौ फीसदी तेजी आई है। इस दौरान निफ्टी 50 और सेंसेक्स में दो से तीन फीसदी गिरावट आई है। मैनेजर्स और एनालिस्ट्स का कहना है कि सोने की कीमत में हाल-फिलहाल गिरावट आने की संभावना नहीं है। लेकिन उनका कहना है कि आपके पोर्टफोलियो में गोल्ड का हिस्सा 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।
कोटक इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स की चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर लक्ष्मी अय्यर ने कहा कि गोल्ड के बारे में मेरा रुख पॉजिटिव है। लेकिन आपको जोखिम को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहिए। डेट या इक्विटी की जगह सोना नहीं ले सकता है। ये दोनों फाइनेंशियल एसेट क्लास हैं और आपके पोर्टफोलियो में इनकी अपनी जगह है।
2020 में कोरोना महामारी के कारण गोल्ड नई ऊंचाई पर पहुंच गया था। लॉकडाउन से अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया था, मंदी की आशंका जोर मार रही थी और अमेरिकी डॉलर में गिरावट आई थी। यह सोने की चमक बढ़ाने के लिए परफेक्ट स्थिति थी। इकनॉमिक लॉकडाउन के कारण फेड ने रातोंरात इंटरेस्ट रेट जीरो कर दिया था। यूएस बॉन्ड यील्ड में गिरावट और महंगाई बढ़ने से सोने को फायदा हुआ। मगर ब्याज दर बढ़ने से सोने की अपील में गिरावट आई। लेकिन बैंकिंग संकट और डॉलर की कीमत में गिरावट से एक बार फिर सोने की चमक बढ़ने लगी है।
इस साल सोना 4,000 डॉलर प्रति औंस के स्तर तक जा सकता है। उन्होंने कहा कि सोना में 10-20 परसेंट तेजी नहीं आएगी बल्कि इसमें भारी उछाल आ सकता है। कई देशों में मंदी जैसे हालात हैं। अगर सोना एकाध हफ्ते तक 2,080 या 2,100 डॉलर पर बना रहता है तो फिर यह 2,200 डॉलर के स्तर तक जा सकता है।
शाह ने कहा कि घरेलू स्तर पर सोने की कीमत अंतरराष्ट्रीय कीमतों के हिसाब से नहीं बढ़ी है। अगर इंटरनेशनल लेवल पर सोने की कीमत में 10 फीसदी उछाल आएगी तो देश में इसकी कीमत में सात फीसदी तेजी आएगी। इस तरह साल के अंत तक इसकी कीमत 67,000 से 68,000 रुपये तक जा सकती है। गोल्ड एकमात्र ऐसी एसेट है जो हर सेंट्रल बैंक के पास है। पिछले साल सेंट्रल बैंक्स ने सोने की रेकॉर्ड खरीदारी की है। इससे सोने की चमक बढ़ी है। 2000 के दशक से सोने पर सालाना आठ से 10 परसेंट रिटर्न मिला है।