फार्मैक्स इंडिया के जीडीआर के मामले में सेबी ने 51.74 करोड़ रुपए लौटाने का आदेश दिया, 11 लोगों को बाजार में कारोबार पर प्रतिबंध लगाया

मुंबई- पूंजी बाजार नियामक सेबी ने ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (जीडीआर) यानी विदेशों से पैसे जुटाने के मामले में चार लोगों पर 51.74 करोड़ रुपए लौटाने का आदेश दिया है। 11 लोगों पर इसी मामले में बाजार में कारोबार करने पर 3 से 5 साल तक प्रतिबंध लगाया गया है। यह कार्रवाई फार्मेक्स इंडिया के जीडीआर के मामले में की गई है।

सेबी ने मंगलवार को इस मामले में 81 पेज का ऑर्डर जारी किया। सेबी ने अपने ऑर्डर में कहा कि फारमैक्स इंडिया लिमिटेड अपने बैंक खाते में करीबन 54 करोड़ रुपए की बकाया राशि वापस लाने के उपायों को आगे बढ़ाना जारी रखेगा। सेबी ने कहा कि एम श्रीनिवास रेड्डी और सभी वर्तमान निदेशक को इस आदेश का पालन करना होगा। सेबी ने आदेश में कहा है कि इस मामले में फार्मेक्स इंडिया, उसके प्रमोटर्स एम श्रीनिवास रेड्डी, अरुण पचारिया, विंटेज एफजेडई, संजय अग्रवाल, मुकेश चौरडिया, प्रोसपेक्ट कैपिटल और इसके सीईओ जान बेहर, नितिश बंगेरा, इंडिया फोकस कार्डिनल फंड, हाईब्लू स्काई एमर्जिंग मार्केट फंड, यूरोपियन अमेरिकन इन्वेस्टमेंट बैंक एजी और कार्डिनल कैपिटल पार्टनर्स इसमें आरोपी हैं।

सेबी के आदेश के मुताबिक, फार्मेक्स इंडिया सहित उपरोक्त सभी आरोपियों ने सेबी के नियमों का जीडीआर में उल्लंघन किया। सेबी की जांच के मुताबिक फार्मेक्स ने 4.25 मिलियन ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट को 29 जून 2010 को जारी किया था। इससे कुल जुटाई जाने वाली राशि 5.99 करोड़ डॉलर थी। साथ ही इसके बाद फिर 14 अगस्त 2010 को 0.85 मिलियन शेयरों का जीडीआर जारी किया गया। इसकी कुल राशि 1.98 करोड़ डॉलर थी। इसमें लीड मैनेजर प्रोसपेक्ट कैपिटल था।

सेबी की जांच के अनुसार, फार्मेक्स ने बीएसई पर 27 अप्रैल 2010 को इसकी जानकारी दी। जिसमें कहा गया कि बोर्ड ने जीडीआर को मंजूरी दी है। 29 जून 2010 को फार्मेक्स ने बीएसई को बताया कि उसने जीडीआर को पूरा कर लिया है और 14.1 डॉलर प्रति जीडीआर यह पूरा हुआ है। विंटेड ने इस मामले में लोन एग्रीमेंट 5 मई 2010 को बॉरोवर के रूप में साइन किया। यह एग्रीमेंट औरम बैंक के साथ हुआ जिसमें सब्सक्रिप्शन का 71.91 मिलियन डॉलर पेमेंट करना था। लोन एग्रीमेंट को एपी ने विंटेज के एमडी के रूप में साइन किया।

सेबी ने जांच किया तो पता चला कि फार्मेक्स ने जिन खातों को बताया था, वह उसी का था जीडीआर के रूप में भी था जिसमें पैसे डिपॉजिट किए गए। लोन एग्रीमेंट की जांच की गई तो पता चला कि विंटेज ने 71.91 मिलियन डॉलर की लोन फैसिलिटी औरम बैंक से ली और फार्मेक्स के जीडीआर को सब्सक्राइब किया।

जब केवाईसी डाक्यूमेंट की जांच की गई तो पता चला कि 6 जून 2007 को विंटेज के एपी को इस मामले में लाभ हुआ था। इसमें मुकेश चौरडिया डायरेक्टर थे। वे साइनिंग अथॉरिटी थे। यह पता चला कि एपी और मुकेश ही इस पूरे मामले का प्रबंधन कर रहे थे। सेबी के अनुसार इसी दिन फार्मेक्स और औरम बैंक के साथ प्लेज एग्रीमेंट साइन किए गए। इसे फार्मेक्स के एमडी रेड्‌डी ने साइन किया। सेबी की जांच में पाया गया कि फार्मेक्स का 5.10 मिलियन जीडीआर जिसकी राशि 71.91 मिलियन डॉलर थी, उसे केवल विंटेज ने ही सब्सक्राइब किया था। यह भी पाया गया सभी कंपनियों के लोन खाते, डिपॉजिट खाते सब मिली भगत से चलाए जा रहे थे और जुगाड़ कर के इन लोगों ने इस पूरे मामले में लाभ कमाया।  

सेबी की जांच में पता चला कि फार्मेक्स की यूएई सब्सिडियरी के खाते में सितंबर 2010 से सितंबर 2011 के बीच कुल 1.56 करोड़ डॉलर का ट्रांसफर हुआ। यूएई से यह फंड फार्मेक्स के दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर किया गया। सेबी ने यह भी पाया कि विंटेज ने 2.50 लाख डॉलर की राशि फार्मेक्स के औरम बैंक खाते में 15 सितंबर 2010 को ट्रांसफर किया। सेबी के अनुसार सभी जीडीआर को विंटेज ने सब्सक्राइब किया और बाद में इसे इक्विटी शेयर में बदल दिया। यह शेयर बाद में भारतीय शेयर बाजार में बेचे गए। जीडीआर को कैंसल कर दिया गया। जीडीआर का कुल 24.63 प्रतिशत हिस्सा इस दौरान कैंसल किया गया।

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