नई कर व्यवस्था: आपके जानने योग्य सभी ज़रूरी बातें, जिनसे मिलेगा लाभ
केन्द्रीय बजट में प्रस्तावित आय कर स्लैब और कटौतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए देश भर में अधिकाँश वेतनभोगी कर्मचारियों में काफी जिज्ञासा होती है। किसी व्यक्ति की कर संबंधी योजना काफी हद तक आयकर अधिनियम, 1961 के नियमों के माध्यम से सरकार द्वारा प्रस्तावित रियायतों और कटौतियों पर निर्भर करती है। कर निर्धारण वर्ष 2024-25 से नई कर व्यवस्था को अतिरिक्त विकल्प बनाने की वित्त मंत्री की घोषणा के साथ करदाताओं को नए नियमों की प्रमुख विशेषताओं को अवश्य ही अच्छी तरह जान लेना चाहिए। नई कर व्यवस्था के बारे में विस्तार से बता रहें हैं एंजल वन लिमिटेड के प्रमुख सलाहकार अमर देव सिंह।
नई व्यवस्था के तहत कर में मूल छूट की सीमा 2.5 लाख रूपए से बढ़ाकर 3 लाख रूपए कर दी गई है। इसके अलावा 7 लाख रुपये तक की आमदनी (वार्षिक) के लिए कर में रियायत की पेशकश की गई है। 50,000 रुपये की सामान्य कटौती (स्टैण्डर्ड डिडक्शन) को भी नई व्यवस्था में बढ़ा दिया गया है।
37% की उच्चतम अधिभार दर को कम करके 25% कर दिया गया है, जिसका प्रभाव 5 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी वाले करदाताओं पर पड़ेगा। इसका निहितार्थ यह है कि कर की प्रभावी दर 42.74% से घटकर 39% रह जायेगी।
नई व्यवस्था में अमान्य की गई छूट और कटौतियाँ: लेकिन, पुरानी कर व्यवस्था के तहत कर की देयताओं को कम करने के लिए परम्परागत रूप से प्रयुक्त कर योजना के कुछ साधनों को अब नए नियमों में शामिल नहीं किया गया है। इन साधनों में धारा 80TTA/ 80TTB, अवकाश यात्रा रियायत, मकान किराया भत्ता, बच्चों की शिक्षा भत्ता, अधिनियम की धारा 10(14) के अंतर्गत विशेष भत्ते, और सबसे बढ़कर खंड VI-A कटौती (धारा 80C, 80D, 80E आदि, धारा 80CCD (2) और धारा 80JJAA को छोड़कर) शामिल हैं।
इसके अलावा, खुद के कब्जे वाले या खाली पड़ी संपत्ति (धारा 24) पर गृह ऋण (हाउसिंग लोन) पर ब्याज और सुविधाओं तथा अनुलाभ (पर्क्विजिट्स) पर किसी भी कटौती को नई व्यवस्था में समाप्त कर दिया गया है।
उपलब्ध अतिरिक्त छूट और कटौतियाँ: नई व्यवस्था में कुछ अतिरिक्त छूट और कटौतियाँ लागू की गई, जो पुराने नियमों में उपलब्ध नहीं थीं। इनमें दिव्यांग व्यक्तियों के लिए परिवहन भत्ता, आवागमन भत्ता, स्थानान्तरण या यात्राओं के दौरान यात्रा के खर्च की क्षतिपूर्ति, एनपीएस खाते में कर्मचारी का अंशदान (धारा 80CCD (2), कर्मचारी का अतिरिक्त खर्च (धारा 80JJAA), और सामान्य कटौती (ऊपर वर्णित 50,000 रुपये की) शामिल हैं।
इसके अलावा, बजट में पारिवारिक पेंशन आय के लिए खर्चों के रूप में धारा 57(iia) के तहत कटौतियाँ भी लागू की गई हैं। नई प्रणाली में धरा 80CCH (2) के तहत अग्निवीर कार्पस निधि के तहत कटौतियों की व्यवस्था भी की गई है।
दो व्यवस्थाओं के बीच तुलना: दोनों विकल्प के बीच चुनाव के लिए करदाताओं द्वारा प्रयुक्त कर नियोजन साधनों के आधार पर दोनों व्यवस्था में अंतर है। यह विचार महत्वपूर्ण है कि कुल कर योग्य आमदनी कितनी है और क्या करदाता को धारा 80C, 80D, मकान किराया भत्ता छूट/गृह ऋण है या नहीं, जहां कोई पुरानी व्यवस्था का विकल्प चुन सकता है। दूसरी ओर अगर करदाता का ऐसा कोई निवेश नहीं है और फिर भी वह कर की देयता कम करना चाहता है, तो वह नई कर व्यवस्था का चुनाव कर सकता है, क्योंकि कर के लिए देय (चार्जेबल) अधिकतम राशि पुरानी व्यवस्था वाली राशि से अधिक है।
सारांश: करदाता को वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ अपनी अनुमानित आमदनी, निवेश, गृह ऋण, और अन्य कटौतियों पर विचार करना चाहिए। आंकलन के आधार पर दोनों में से कोई व्यवस्था का चुनाव किया जा सकता है। नई कर व्यवस्था वैसे लोगों के लिए सही है जो जीवन बीमा और पेंशन योजनाओं जैसे अल्प-लाभकारी विकल्पों में धन निवेश नहीं करना चाहते। वैसे करदाता जो शेयर बाज़ार या अन्य वैकल्पिक निवेशों के माध्यम से अपने निवेशों का बढ़िया प्रबंधन कर रहे हैं, वे अभी भी नई कर व्यवस्था को चुनकर अपनी कुल कर देयता कम कर सकते हैं।