इस वित्त वर्ष में नहीं आएगा LIC का IPO, एक्ट में बदलाव और तमाम दिक्कतें हैं कारण

मुंबई– देश में अब तक सबसे बड़े आईपीओ पर फिलहाल विराम लग गया है। LIC का IPO इस वित्त वर्ष में नहीं आएगा। हालांकि अगले वित्त वर्ष में भी यह तीसरी या चौथी तिमाही तक आ सकता है। इसका कारण है कि एक तो LIC के एक्ट को बदलना होगा। फिर ढेर सारे कानूनी बदलाव करने होंगे। यही कारण है कि इसमें देरी होगी।  

उच्च सूत्रों के मुताबिक LIC के IPO का अभी पहला कदम भी शुरू नहीं हो पाया है। एक तो इसका वैल्यूएशन अभी तक नहीं हुआ है। इसका वैल्यूएशन करने में 6 महीने लगेंगे। दूसरे सरकार ने संसद में किसी तरह से अभी इसके जो कानूनी पहलू हैं, उसमें बदलाव नहीं किया है। तीसरे अन्य सारे कारण भी हैं। सूत्रों के मुताबिक जब LIC के IPO की शुरुआत होगी, तब से इसमें कम से कम दो साल लग जाएंगे। इसलिए ऐसी उम्मीद है कि यह आईपीओ अगले वित्त वर्ष के अंत तक आ सकता है।  

बता दें कि LIC का IPO अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। इसके जरिए सरकार 10 पर्सेंट हिस्सेदारी बेचकर 80 हजार करोड़ रुपए जुटाना चाहती है। सरकार कई चरणों में इसकी 25 पर्सेंट हिस्सेदारी बेचने का लक्ष्य रखी है। यानी इसके जरिए करीबन 2 लाख करोड़ रुपए सरकार जुटाएगी। इससे पहले कोल इंडिया का 15 हजार करोड़ का IPO सबसे बड़ा आईपीओ था। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में LIC के विनिवेश की बात कही थी। इसके साथ ही सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन को भी बेचने की बात की थी। हालांकि अभी तक इनके बारे में कोई कदम सरकार आगे नहीं बढ़ा पाई है।  

वैसे भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन को लेकर सरकार ने अब तक चार बार टेंडर निकाला है। पर अभी तक इसे खरीदने में उसे सफलता नहीं मिली है। भारत पेट्रोलियम लगातार सरकार को फायदा देनेवाली कंपनी है। बावजूद इसके खरीदार नहीं हैं। इसका कारण यह है कि सरकार के जो नियम और शर्तें हैं, वह खरीदारों के लिए सही नहीं हैं। इसका उदाहरण भारत पेट्रोलियम, एअर इंडिया, एअर इंडिया की बिल्डिंग सहित कई कंपनियां हैं जिन्हें सरकार बेचना तो चाहती है, पर बिक नहीं रही है। 

LIC की हिस्सेदारी न बिकने से सरकार को इस साल का विनिवेश का लक्ष्य पाना मुश्किल है। सरकार ने बजट में 2.10 लाख करोड़ रुपए सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेच कर हासिल करने का लक्ष्य रखा था। अभी तक केवल 3,500 करोड़ रुपए सरकार को मिले हैं। जबकि आधा साल निकल चुका है। 

सरकार अभी तक LIC के IPO के लिए मर्चेंट बैंकर्स तक की नियुक्ति नहीं कर पाई है। हालांकि IPO से पहले के लिए एसबीआई कैपिटल और डेलॉय को सिलेक्ट जरूर किया है, पर यह केवल वैल्यूएशन के लिए है। बता दें कि एलआईसी की 32.80 लाख करोड़ रुपए की बैलेंसशीट है।दरअसल बीमा नियामक इंश्योरेंस रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) के नियमों के मुताबिक बीमा कंपनी की किसी और कंपनी में 15 पर्सेंट से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं होनी चाहिए।हालांकि एलआईसी की कंपनियों में हिस्सेदारी इससे ज्यादा है। पर वह एक विशेष अनुमति के तहत है। 

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