एजुकेशन लोन लेकर छात्र नहीं चुका रहे हैं पैसे, बैंकों ने कम किया लोन
मुंबई- आंकड़ों के अनुसार, 2020 की तुलना में 2021 में एजुकेशन लोन में गिरावट आई है। मार्च, 2020 में कुल लोन 79,056 करोड़ था जो मार्च, 2021 में घटकर 78,823 करोड़ रुपये रह गया। हालांकि, मार्च, 2022 में यह बढ़कर 82,723 करोड़ रुपये हो गया। रिसर्जेंट इंडिया के प्रबंध निदेशक ज्योति प्रकाश गाड़िया ने कहा कि स्नातक छात्र लगातार कॉलेज से निकल रहे हैं, पर नए रोजगार की काफी कमी है। इस कारण वे कर्ज को समय से चुका पाने में सक्षम नहीं हैं।
7.50 लाख रुपये तक कर्ज बिना किसी गारंटी के मिलता है और यही सबसे ज्यादा एनपीए हो रहा है। ज्यादातर बैंक इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) की शिक्षा लोन की स्कीम के तहत कर्ज देते हैं। इस कर्ज से छात्र भारत में उच्च शिक्षा और विदेशों में पढ़ाई के लिए जाते हैं। इस मॉडल के तहत 4 लाख रुपये तक के कर्ज बिना गारंटी के मिलते हैं। कर्ज के पुनर्भुगतान का समय 10 से 15 साल का होता है। जबकि इस पर ब्याज एमसीएलआर के बाद 2 से 3 फीसदी होता है। एमसीएलआर बैंक अपने हिसाब से तय करते हैं।