अदाणी समूह पर कर्ज काफी ज्यादा, एक या कई कंपनियां हो सकती हैं दिवालिया
मुंबई- बंदरगाह से लेकर सीमेंट समेत विभिन्न कारोबार से जुड़े अदाणी समूह ने काफी ज्यादा कर्ज ले लिया है। इसका इस्तेमाल मौजूदा और नए कारोबार में आक्रामक तरीके से निवेश करने के लिए किया जा रहा है। फिच समूह की इकाई क्रेडिटसाइट्स ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा, हालात बिगड़ने पर अधिक महत्वाकांक्षी ऋण-वित्त पोषित विकास योजनाएं एक बड़े कर्ज जाल में बदल सकती हैं। ऐसे में संभव है कि समूह की एक या अधिक कंपनियां डिफॉल्ट कर सकती हैं।
अदाणी समूह की सात कंपनियां घरेलू शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं। इनमें छह सूचीबद्ध कंपनियों पर 2021-22 अंत तक 2.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था। नकदी को निकालने के बाद शुद्ध कर्ज 1.73 लाख करोड़ रुपये बनता है। इन कंपनियों पर अमेरिकी डॉलर बॉन्ड को लेकर बकाया भी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह कर्ज लेकर तेजी से नए और अलग-अलग कारोबार में कदम रख रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में उसने आक्रामक विस्तार की रणनीति अपनाई है। इससे कर्ज एवं नकदी प्रवाह पर दबाव पड़ने के साथ जोखिम भी बढ़ा है। यह पूरे समूह के लिए चिंताजनक है। क्रेडिटसाइट्स ने कहा, अदाणी समूह जिस तरह से कर्ज के आधार पर आक्रामक रूप से विस्तार कर रहा है, उस पर सतर्कता से उसकी नजर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह के पास अदाणी इंटरप्राइजेज के जरिये कंपनियों के संचालन का एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के बेहतर तरीके से कामकाज से संबंधित बुनियादी ढांचा का एक पोर्टफोलियो भी है। रिपोर्ट में समूह के उन क्षेत्रों में विस्तार का उल्लेख किया गया है, जहां उसका पहले से कोई अनुभव या विशेषज्ञा नहीं है। इनमें तांबा रिफाइनिंग, पेट्रोरसायन, दूरसंचार और एल्युमीनियम उत्पादन शामिल है। ऐसा माना जाता है कि नई कारोबारी इकाइयां कुछ साल तक मुनाफा नहीं कमा पातीं, उनमें आमतौर पर तुरंत कर्ज चुकाने की क्षमता नहीं होती है।
इससे पहले 14, जून 2021 को ऐसी खबर आई थी कि अदाणी समूह में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के खाते फ्रीज कर दिए गए थे। इसके बाद समूह की 6 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में एक महीने में 2.34 लाख करोड़ रुपये की कमी आई थी। शेयरों में 45 फीसदी तक की गिरावट आई थी। बाजार पूंजीकरण 9.42 लाख करोड़ से घटकर 7.08 लाख करोड़ रुपये हो गया था। हालांकि एक साल बाद अब यह ढाई गुना से ज्यादा बढ़ गया है।
समूह ने 1980 के दशक में कमोडिटी कारोबारी के रूप में काम शुरू किया। फिर खान, बंदरगाह, बिजली संयंत्र, एयरपोर्ट, डाटा सेंटर और रक्षा जैसे क्षेत्रों में कदम रखा। समूह ने हाल ही में होल्सिम की भारतीय इकाइयों का 10.5 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर सीमेंट के साथ एल्युमिना विनिर्माण में कदम रखा है।