हेल्थ इंश्योरेंस में टॉप-अप और सुपर टॉप-अप क्या है, जानिए
मुंबई- चिकित्सा के लगातार बढ़ते खर्च ने किसी अच्छे खासे प्रीमियम वाले और अच्छी तरह से डिजाइन किए गए हेल्थ इंश्योरेंस को जरूरी कर दिया है। पर्याप्त बीमा राशि के साथ एक बेस हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना विवेकपूर्ण फाइनेंशियल प्लानिंग की दिशा में पहला कदम होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप जरूरत के समय पर्याप्त रूप से कवर किए गए हैं, आपको अपनी बीमा योजना को मजबूत करने वाले विकल्पों पर विचार करना चाहिए।
आज बीमा का मार्केट कई विकल्प प्रदान करता है जो अपेक्षाकृत कम लागत पर अच्छे से अच्छा कवरेज प्राप्त करने में आपकी सहायता कर सकता है। ऐसे दो विकल्प टॉप-अप और सुपर टॉप-अप प्लान हैं. हालाँकि ये दोनों विकल्प किफायती हैं और उच्च बीमा राशि प्रदान करते हैं, पर उनके बीच एक बुनियादी अंतर है।
इनके अंतर को समझने के लिए आपको पहले टॉप-अप या सुपर टॉप-अप में थ्रेसोल्ड लिमिट या डिडक्टिबल के बारे में पता होना चाहिए। डिडक्टिबल या कटौती योग्य वह सीमा है जिस तक क्लेम कॉस्ट आपको या आपकी बेस बीमा पॉलिसी को वहन करनी होती है; क्लेम राशि पूर्व-निर्धारित कटौती से अधिक होने के बाद ही ये दोनों योजनाएं चालू होंगी।
उदाहरण के लिए, यदि आपका टॉप-अप डिडक्टिबल 5 लाख रुपए है तो फिर क्लेम राशि 5 लाख से अधिक होने पर टॉप-अप सक्रिय हो जाएगा। 5 लाख तक की लागत या तो मूल पॉलिसी या बीमाधारक द्वारा वहन की जाएगी. उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपकी मूल पॉलिसी की बीमा राशि के बराबर टॉप-अप थ्रेशोल्ड सीमा चुनने की राय दी जाती है. साथ ही पॉलिसी के तहत एक सहज कवर और लाभ प्राप्त करने के लिए यह अच्छा होगा कि टॉप-अप पॉलिसी पीरियड को बेस पॉलिसी पीरियड के साथ रखा जाए।
अब इन दोनों में अंतर पर आते हैं। टॉप-अप कवर में डिडक्टिबल प्रति क्लेम बेसिस पर लागू होता है जिसका मतलब है कि डिडक्टिबल प्रत्येक क्लेम पर अलग से लागू होता है और प्रत्येक क्लेम को टॉप-अप कवर चालू करने के लिए डिडक्टिबल लिमिट को पार करना चाहिए। इसके विपरीत, एक सुपर टॉप-अप प्लान में, सिंगल पॉलिसी वर्ष के भीतर किए गए क्लेम्स को समग्र आधार पर माना जाता है जिसका अर्थ है कि सुपर टॉप-अप बीमा राशि का उपयोग एक से अधिक क्लेम्स के लिए किया जा सकता है।
एक बार पॉलिसी वर्ष में ओवरआल क्लेम वैल्यू पूर्व-निर्धारित सीमा को पार कर जाने पर एक सुपर टॉप-अप एक्टिव या चालू हो जाएगा. मैं कुछ उदाहरण की मदद से इस अंतर को विस्तार से बताऊंगा। मान लें कि आपकी मूल पॉलिसी के लिए बीमा राशि 3 लाख रुपये है. अगर आप 3 लाख की कटौती के साथ 10 लाख का टॉप-अप या सुपर टॉप-अप लेते हैं, तो आइए देखें कि दोनों विकल्पों में क्लेम्स का भुगतान कैसे किया जाएगा।
उदाहरण -5 लाख का एक क्लेम
बेस प्लान 3 लाख का पेमेंट करेगी और टॉप-अप योजना शेष 2 लाख का भुगतान करेगी।
2 लाख रूपये के दो दावे होते हैं तो ऐसे में बेस प्लान पहले दावे के लिए 2 लाख और दूसरे दावे के लिए 1 लाख का भुगतान करेगी। टॉप-अप योजना अप्लाई नहीं होगी क्योंकि क्लेम्स की व्यक्तिगत राशि 3 लाख की सीमा से अधिक नहीं थी। इन दो दावों के बाद अब बेस पालिसी भी समाप्त हो गई है।
बेस प्लान पहले दावे के लिए 2 लाख और दूसरे दावे के लिए 1 लाख का भुगतान करेगी। सुपर टॉप-अप शेष 1 लाख का भुगतान करेगा क्योंकि क्लेम्स की कुल राशि 3 लाख की सीमा को पार कर गई है।इन दो दावों के बाद अब बेस पालिसी भी समाप्त हो गई है।
अब जब आप दोनों योजनाओं के बीच के अंतर को समझ गए हैं, तो आप सही योजना के बारे में कैसे फैसला लेंगे? दोनों योजनाएं आपको बहुत मामूली कीमत पर उच्च बीमा राशि प्राप्त करने और उनके लाभ प्राप्त करने में मदद करती हैं। हालांकि, यदि आप किसी ऐसी मेडिकल कंडीशन से पीड़ित हैं जिसके लिए बार-बार अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, तो उस स्थिति में, सुपर टॉप-अप आपके लिए सही है। यदि आप किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं जिसके लिए बार बार चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है, तो एक टॉप-अप योजना आपके लिए बेहतर होगी।
ये कवर आज विशेष रूप से इसलिए प्रासंगिक हो गए हैं क्योंकि आज बहुत सारी कंपनियां अपने कर्मचारियों को बेस हेल्थ इंश्योरेंस का कवरेज दे रहे हैं। इसमें एक टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान इस बेस प्लान में एक्स्ट्रा फीचर जोड़ देता है। ये प्लान्स विभिन्न राज्यों द्वारा चलाये जाने वाले प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में भी काम करेंगे, जहाँ यह प्लान एक निश्चित सीमा तक स्वास्थ्य कवर प्रदान करती हैं।
इसके साथ ही बेस पालिसी का होना अनिवार्य नहीं है। कोई भी व्यक्ति बिना किसी बेस कवर के भी टॉप-अप पॉलिसी का लाभ उठा सकता है. यहां एकमात्र पॉइंट यह होगा कि यदि आपके पास बेस पॉलिसी नहीं है, तो टॉप-अप पॉलिसी में कटौती योग्य टॉप-अप पॉलिसी की राशि बीमाधारक को वहन करनी होगी। अब जब आप अपने हेल्थ इंश्योरेंस को आगे बढ़ाने का एक पॉकेट-फ्रेंडली तरीका जान गए हैं तो आप अपनी बीमा राशि की पर्याप्तता (adequacy) का मूल्यांकन करें और अपनी सुरक्षा को पॉकेट-फ्रेंडली कीमत पर बढ़ाने के लिए एक अच्छा सा प्लान बनाएं।