एलआईसी ने सेबी के पास आईपीओ के लिए जमा कराया पेपर्स, मार्च में आएगा इश्यू   

मुंबई- भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने नियामक सेबी के के पास आईपीओ के लिए पेपर्स जमा करा दिया है। आईपीओ में 5 पर्सेंट हिस्सेदारी बेची जाएगी। गौरतलब है कि सरकार एलआईसी का आईपीओ लाने के लिए लंबे समय से कवायद कर रही है और इसके लिए विशेषज्ञ कंपनियों से सेवाएं भी ली गई हैं।  

सेबी के समक्ष दाखिल मसौदे की बात करें तो सरकार करीब 31 करोड़ इक्विटी शेयर बेचेगी। सरकार का लक्ष्य मार्च तक जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध करना है। एलआईसी के आईपीओ इश्यू का 10 प्रतिशत तक पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित होगा। 

चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार के विनिवेश लक्ष्य में 78 हजार करोड़ रुपये की कमी रहने के अनुमान के बीच सरकार के लिए एलआईसी का आईपीओ अहम है। रिपोर्ट के मुताबिक 2000 से पहले के दौर में एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी 100 फीसदी थी जो धीरे-धीरे घटकर 2016 में 71.8 प्रतिशत पर आ गई। 

2020 में एलआईसी की बाजार में हिस्सेदारी और कम होकर 64.1 फीसदी रह गई। देश में दूसरी सबसे बड़ी जीवन बीमाकर्ता कंपनी एसबीआई लाइफ की 2016 में बाजार में हिस्सेदारी सिर्फ 5 फीसदी और 2020 में 8 फीसदी थी। एलआईसी के कुल शेयर का साइज 632 करोड़ है जबकि आईपीओ में 31.6 करोड़ शेयर्स जारी किए जाएंगे। इसमें से 3.16 करोड़ शेयर्स उनके लिए रिजर्व होंगे जिसके पास एलआईसी की पॉलिसी होगी। यह आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल होगा। यानी पूरा पैसा सरकार के पास जाएगा।  

आईपीओ में 50 पर्सेंट हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के लिए रिजर्व होगा जबकि गैर संस्थागत निवेशकों के लिए 15 पर्सेंट शेयर रिजर्व होगा। 35 पर्सेंट हिस्सा रिटेल निवेशकों को मिलेगा। इस आईपीओ में बीमाधारकों को डिस्काउंट मिल सकता है। इसमें एलआईसी के कर्मचारियों के लिए भी कुछ हिस्सा डिस्काउंट पर मिल सकता है।  

एलआईसी की शुरुआत एक सितंबर 1956 को हुई थी। इसमें 245 निजी कंपनियों को मिलाया गया था। साल 2000 तक यह एकमात्र जीवन बीमा कंपनी थी। उसके बाद निजी जीवन बीमा कंपनियों को बीमा बेचने की मंजूरी मिली थी। इसका असेट अंडर मैनेजमेंट 39.40 लाख करोड़ रुपए का है। यह निजी बीमा कंपनियों की तुलना में 3 गुना ज्यादा है। इसके पास 28.2 करोड़ पॉलिसीज हैं। 32 इंडिविजुअल और 10 ग्रुप प्रोडक्ट इसके पास हैं। एलआईसी की कुल इनकम 2021 में 7.03 लाख करोड़ रुपए रही जबकि 2020 में यह 6.45 लाख करोड़ रुपए थी। शुद्ध फरायदा 2021 में 2974 करोड़ रुपए रहा।  

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