बजट में बढ़ सकती है स्टैंडर्ड डिडक्शन सीमा, 30% बढ़ाने की योजना

मुंबई- बजट में सैलरी वालों और पेंशनभोगियों के लिए उपलब्ध स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाई जा सकती है। इसमें 30 से 35% की करने की योजना है। अभी टैक्स भरने वालों के लिए 50,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने इसे बढ़ाने का सुझाव दिया है।  

2018 में उस समय के वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली ने 40,000 रुपए की कटौती की शुरुआत की थी। बाद में 2019 में अंतरिम बजट में पीयूष गोयल द्वारा इसे बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया था। इसके साथ ही मौजूदा वित्तीय हालात को देखते हुए इनकम टैक्स का स्लैब जस का तस रहने की संभावना है।  

पर्सनल टैक्सेशन पर कई सुझाव दिए गए हैं। इस वर्ष ज्यादातर डिमांड स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाने की थी। खासकर कोविड के कारण मेडिकल खर्चों की बढ़ी हुई लागत को देखते हुए यह डिमांड की गई है कि इसे 30-35% तक बढ़ाया जाए। एक अधिकारी ने कहा कि इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। नई टैक्स व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले करदाताओं के लिए कोई स्टैंडर्ड डिडक्शन उपलब्ध नहीं है।  

कोविड महामारी में वेतनभोगियों के घर के खर्च में वृद्धि, बिजली और कम्युनिकेशन जैसे खर्चों को देखते हुए करदाताओं को कुछ राहत देने की मांग की गई है। डेलॉइट के पार्टनर सुधाकर सेथुरमन ने कहा कि कम से कम स्टैंडर्ड डिडक्शन को 20-25% तक बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई देशों ने वर्क फर्म होम के कारण टैक्स में छूट देने की शुरुआत की है।  

उद्योग संगठन एसोचैम और सीआईआई सहित ट्रेड बॉडी ने भी स्टैंडर्ड डिडक्शन की मांग की है। मौजूदा हालात को देखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन बहुत कम है और कम से कम इसे 75,000 रुपए होना चाहिए। इसके अलावा इसे संशोधित करने और महंगाई से जोड़ने की भी आवश्यकता है। कई देश ऐसा कर रहे हैं।  

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