हिंदुस्तान जिंक में विनिवेश को मंजूरी, सरकार बेच सकती है हिस्सेदारी- कोर्ट

मुंबई- सुप्रीमकोर्ट ने सरकारी कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) में विनिवेश की मंजूरी दे दी है। उसने कहा कि सरकार की 29.5% हिस्सेदारी है। इसलिए अब वह सरकारी कंपनी नहीं रह गई है।  

कोर्ट ने कहा कि जब तक प्रक्रिया पारदर्शी है। इसकी अच्छी कीमत मिलती है, तब तक शेयर होल्डिंग को कम करने के बारे में सरकार को फैसला लेने का हक है। केंद्र सरकार ने 2002 में कंपनी में हुए विनिवेश की CBI जांच बंद करने की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने माना कि 2002 की सरकारी हिस्सेदारी बिक्री में विनिवेश के मानदंडों के उल्लंघन का प्रथम दृष्टया मामला मौजूद है। इसे बंद करने की अनुमति नहीं दी गई है।  

कोर्ट ने अब इसकी नियमित CBI जांच का निर्देश दिया है। 2014 में सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (CPSEs) ने 2002 के विनिवेश के दौरान शेयर्स के अवमूल्यन का आरोप लगाते हुए कोर्ट में एक आवेदन किया था। दरअसल, आरोपों की वजह से सुप्रीमकोर्ट ने 2016 में हिंदुस्तान जिंक में किसी भी तरह के विनिवेश पर स्टे लगा दिया था।  

मार्च 2021 में सरकार सुप्रीमकोर्ट में गई और उसने 29.5% की हिस्सेदारी को बेचने के लिए मंजूरी मांगी थी। हिंदुस्तान जिंक कंपनी जिंक और सिल्वर की बड़ी प्रोड्यूसर कंपनियों में से है। इसकी फैसिलिटी राजस्थान और उत्तराखंड में है। कंपनी में प्रमोटर्स के पास 64.92% हिस्सेदारी है। जनता के पास 35.08% हिस्सेदारी है। इसी में सरकार की 29.5% हिस्सेदारी है। प्रमोटर के रूप में प्राइवेट कंपनी वेदांता लिमिटेड है। प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी का 22.83% शेयर गिरवी रखा है।  

हिंदुस्तान जिंक का शेयर 332 रुपए पर कारोबार कर रहा है। कंपनी को साल 2020-21 में कुल 22,629 करोड़ रुपए के रेवेन्यू पर 7,980 करोड़ रुपए का फायदा हुआ था। सितंबर तिमाही में इसका रेवेन्यू 6,122 करोड़ रुपए था। जबकि शुद्ध फायदा 2,017 करोड़ रुपए था।  

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