मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज की हालत खस्ता, नेटवर्थ घट कर 103 करोड़ रुपए हुई

मुंबई- मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज की हालत खस्ता हो रही है। इसका नेटवर्थ 103 करोड़ रुपए पर घट कर आ गया है। अगर यही हालत रही तो अगले साल इसका लाइसेंस रिन्यू होना मुश्किल होगा। इस मामले में भेजे गए ईमेल पर एक्सचेंज ने पत्रकारिता का पाठ पढ़ाने की कोशिश की।  

एक्सचेंज ने जवाब में कहा कि एक्सचेंज इसके डायरेक्टर्स के बारे में जो भी आरोप हैं, वे आधारहीन हैं। एक्सचेंज ने कहा कि इस तरह के गलत स्टेटमेंट फैलाए जा रहे हैं। ये अफवाहें एक्सचेंज की इमेज को प्रभावित कर रही हैं। एक्सचेंज ने 1 अगस्त को भेजी गई रिलीज को ही जवाब के रूप में दिया और कहा कि एक्सचेंज प्रोफेशनल मैनेजमेंट के तहत चलाया जा रहा है।  

एक्सचेंज ने कहा कि स्टैंडर्ड मीडिया इंडस्ट्री प्रैक्टिस के तहत किसी भी कंटेंट को सत्यापित कर उसे प्रभावित पार्टी से सही सबूत लेकर ही छापा जाना चाहिए। एक्सचेंज सीधे –सीधे अपना जवाब देने की बजाय मीडिया प्रैक्टिस पर आ गया। एक्सचेंज ने कहा कि इस समय वह एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है और मैनेजमेंट बिजनेस को ट्रैक पर लाने की कोशिश कर रहा है। पर कुछ पूर्व कर्मचारी इस तरह की गलत अफवाहें फैला रहे हैं।  

बता दें कि यह स्टॉक एक्सचेंज लगातार खराब प्रदर्शन कर रहा है। हाल में एक्सचेंज ने दावा किया था कि उसका नेटवर्थ 143 करोड़ रुपए है। हालांकि सेबी ने कहा कि यह नेटवर्थ 103 करोड़ रुपए है। एक्सचेंज इस नेटवर्थ में 43 करोड़ रुपए जीएसटी क्रेडिट को जोड़ रहा है। कुछ शेयरधारकों ने कहा कि स्टॉक एक्सचेंज की हालत इतनी खस्ता है कि इसके शेयर धारकों में डर है। 

सूत्रों के मुताबिक, एक्सचेंज की फॉरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट इसी महीने तक आने की संभावना है। सेबी ने हाल में एक्सचेंज का लाइसेंस एक साल के लिए रिन्यू किया है। जबकि बाकी एक्सचेंजों का लाइसेंस 5-10 साल या 3 साल बाद रिन्यू होता है। लेकिन मेंट्रोपॉलिटन को लेकर सेबी इसका लाइसेंस हर साल रिन्यू करती है। 

मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज तिमाही आधार पर घाटा पेश कर रहा है। जून 2021 में इसे 8.36 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। नियमों के मुताबिक, एक्सचेंज की नेटवर्थ 100 करोड़ रुपए होनी चाहिए और मेट्रोपॉलिटन की नेटवर्थ अब इसी सीमा के करीब आ गई है।   

सूत्रों ने बताया कि एक्सचेंज का कैश नेटवर्थ एक खतरनाक जोन में सकता है। एक्सचेंज का फॉरेंसिक ऑडिट अर्नेस्ट एंड यंग को सौंपा गया है। उधर दूसरी ओर, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने एक्सचेंज की इन सभी कमियों को लेकर वित्तमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने एक्सचेंज पर कार्रवाई और जांच की मांग की है।   

2018 में शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी ने MSE में फ्रॉड और अनियमितता के बारे में जांच की थी। यह जांच तब शुरू की गई, जब दो अज्ञात लोगों ने शिकायत की थी। यह शिकायत गवर्नेंस, मिस मैनेजमेंट और फंड के ट्रांसफर के मामले में थी। इसी संबंध में उस समय वित्त राज्यमंत्री राधाकृष्णन ने लोकसभा में जवाब दिया था।  

राधाकृष्णन ने कहा था कि आरोपों की जांच सेबी द्वारा की जा रही है और इसके लिए MSE के गवर्निंग बोर्ड द्वारा एक पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर्स (PID) का गठन होगा जो इन सभी आरोपों की जांच करेगा। इस कमिटी की सलाह पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। शिकायत में अज्ञात लोगों ने एक्सचेंज के उस समय के MD एवं CEO उदय कुमार पर भी आरोप लगाया था। कुमार को उस समय छुट्‌टी पर भेज दिया गया था।  

MSE के पास 45000 से अधिक माइनॉरिटी स्टेकहोल्डर्स, हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) निवेशक और अन्य संस्थाएं शामिल हैं। लतिका कुंडू को मार्च 2020 में एक्सचेंज का नया MD बनाया गया था।  

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