बैंकों, म्यूचुअल फंड और ब्रोकरों को निगरानी मजबूत करने के निर्देश
मुंबई- मनीलांड्रिंग को लेकर घरेलू नियामकों ने अब शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में तीन प्रमुख नियामकों ने बैंकिंग, म्यूचुअल फंड और स्टॉक ब्रोकरों से कहा है कि वे अपनी निगरानी मजबूत करें। नवंबर में एफएटीएफ की ओर से होने वाली समीक्षा के पहले कई नियम भी लाए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) भारत के रेगुलेशन और सुपरविजन की नवंबर में समीक्षा करने वाला है। भारत एफएटीएफ नियमों का अनुपालन करता है इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए इसकी तैयारियों में मिलने वाली किसी भी दिक्कत से इसकी रेटिंग पर असर पड़ सकता है और वैश्विक फर्मों के लिए देश में व्यापार करना महंगा हो सकता है।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, रेटिंग में कोई भी गिरावट भारत और उसके संस्थानों की वैश्विक वित्तीय संस्थानों के साथ व्यापार करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। एक नियामक अधिकारी ने कहा कि शीर्ष रेटिंग बनाए रखने के लिए भारत के बाजार नियामक ने इस साल जनवरी से एफएटीएफ जरूरतों को पूरा करने के लिए कई नियमों में बदलाव किया है।
इसके तहत सेबी ने ब्रोकिंग हाउसों और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों में सीईओ को सीधे निगरानी के लिए जिम्मेदार बनाया है। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि सेबी ने सभी संस्थाओं से यह भी पूछा है कि उन्होंने जांच के लिए क्या कदम उठाए हैं और कितनी बार संदिग्ध लेनदेन की जांच करती हैं।