देश को वैश्विक चिकित्सा केंद्र बनाने के लिए अस्पतालों को प्रोत्साहन की जरूरत
मुंबई- भारत को 2035 तक वैश्विक चिकित्सा केंद्र बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों के लिए कर छूट देने और स्वास्थ्य क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा देने की जरूरत है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का मेडिकल टूरिज्म बाजार 2025 में 18.2 अरब डॉलर से बढ़कर 2035 तक 58.2 अरब डॉलर होने की उम्मीद है। यह बाजार 12.3 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है।
फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) और केपीएमजी के सहयोग रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें दूतावासों, प्रदर्शनियों और डिजिटल प्लेटफार्मों का लाभ उठाकर वैश्विक ब्रांडिंग अभियान और राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर ‘हील इन इंडिया’ मिशन शुरू करने की सिफारिश की गई है। निवेश आकर्षित करने और सेवा वितरण में सुधार के लिए भारत को राजकोषीय और गैर राजकोषीय प्रोत्साहनों का मिश्रण प्रदान करना चाहिए। इनमें मार्केटिंग विकास सहायता योजना के तहत बढ़ी हुई सब्सिडी, डिजिटल प्लेटफॉर्म सहित मार्केटिंग और प्रचार के लिए तकनीकी सहायता और वेलनेस केंद्रों सहित व्यापक चिकित्सा बुनियादी ढांचे में 100 प्रतिशत एफडीआई शामिल हैं।
इसमें स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी, चिकित्सा अनुसंधान और डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों में काम करने वाले स्टार्टअप्स और संगठनों के लिए लक्षित सब्सिडी और अनुदान शुरू करने की सिफारिश की गई है जो सीधे मेडिकल टूरिज्म का समर्थन करते हैं। विशेष रूप से यह सिफारिश की गई है कि विदेशी बीमा कंपनियों के साथ सहयोग करके भारतीय अस्पतालों को अपने कवरेज नेटवर्क में शामिल करके बीमा पोर्टेबिलिटी को सक्षम किया जाए। इससे विदेशी रोगियों के लिए वित्तीय बाधाएं कम हो सकती हैं। इससे भारत को बीमित चिकित्सा यात्रियों के लिए बेहतर गंतव्य बनाया जा सकता है।
रिपोर्ट में वीजा बीमा संपर्क में अंतराल को दूर करने, वैश्विक मानकों और बहुभाषी आतिथ्य पर स्वास्थ्य सुविधा प्रदाताओं और प्रदाताओं को प्रशिक्षण देकर क्षमता निर्माण को मजबूत करने का भी सुझाव दिया गया है। वैश्विक चिकित्सा एवं कल्याण पर्यटन में भारत के नेतृत्व को सुदृढ़ करने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य दोनों स्तरों पर एक मिशन शुरू किया जाना चाहिए। भारत मेडिकल टूरिज्म सूचकांक में 10वें स्थान पर व वेलनेस टूरिज्म में 7वें स्थान पर है।