अमेरिकी फर्म का आरोप, वेदांता रिसोर्सेज पोंजी स्कीम वाली, शेयर 8 पर्सेंट टूटा

मुंबई- अमेरिकी शॉर्ट सेलर वाइसराय रिसर्च का आरोप है कि अनिल अग्रवाल की ब्रिटिश कंपनी वेदांता रिसोर्सेज एक पोंजी स्कीम जैसी कंपनी है। यह अपनी भारतीय इकाई को व्यवस्थित रूप से खत्म कर रही है। इस आरोप के बाद बुधवार को वेदांता और हिंदुस्तान जिंक के शेयरों में 8 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, बाद में वेदांता का शेयर 3.38 फीसदी गिरकर 440.80 रुपये पर बंद हुआ।

शॉर्ट सेलर फर्म ने 85 पेज में आरोप लगाया कि वेदांता रिसोर्सेज की पूरी संरचना वित्तीय रूप से अस्थिर है। यह ऋणदाताओं के लिए गंभीर जोखिम पैदा करती है। यह समूह अस्थायी कर्ज, लूटी गई संपत्ति और लेखांकन की झूठी बातों की नींव पर बना एक ताश का घर जैसा है। वेदांता ने पिछले चार वित्त वर्षों में 75,800 करोड़ व इसकी इकाई हिंदुस्तान जिंक ने 57,300 करोड़ रुपये का लाभांश दिया है। वेदांता में लाभांश भुगतान का 56.38 प्रतिशत वेदांता रिसोर्सेज को उसकी शेयरधारिता के अनुरूप मिला, जबकि हिंदुस्तान जिंक को 61.62 प्रतिशत लाभांश मिला।

शॉर्ट सेलर ने कहा, वेदांता ने पिछले 3 वर्षों में लाभांश के मुकाबले 5.6 अरब डॉलर की मुक्त नकदी प्रवाह की कमी अर्जित की है। वित्त वर्ष 2021-22 से इसका शुद्ध कर्ज 6.7 अरब डॉलर या 200 प्रतिशत बढ़ गया है। कंपनी अपनी उधारी की सीमा तक पहुंच चुकी है और उसके नकदी भंडार भी लगभग खत्म हो चुके हैं।

इसी अवधि में वेदांता की ब्याज लागत में प्रति वर्ष 20 करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी की कुल ब्याज लागत 83.5 करोड़ डॉलर रही व कुल कर्ज 4.9 अरब डॉलर था। यानी प्रभावी ब्याज दर 15.8 प्रतिशत है। यह समझ से परे है, क्योंकि इस कंपनी के सार्वजनिक रूप से जारी बॉन्ड और घोषित सावधि ऋणों की ब्याज दरें 9-11 प्रतिशत के आसपास हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, केवल तीन संभावित स्पष्टीकरण दिखाई देते हैं। इनमें से सभी वित्तीय कदाचार की ओर संकेत करते हैं। पहला- बैलेंसशीट कर्ज का भुगतान किया जा रहा है, जिसकी लागत को ब्याज खर्च के रूप में छिपाया जा रहा है। यह धोखाधड़ी होगी। दूसरा- ऋण के वास्तविक स्तर को छिपाने के लिए उच्च लागत वाले दूसरे ऋणों का उपयोग किया जा रहा है और रिपोर्टिंग तिथि से पहले ही उनका भुगतान कर दिया जा रहा है। तीसरा-ऋण दरों या शर्तों के बारे में बाजार को गलत जानकारी दी जाती है।

वेदांता समूह के प्रवक्ता ने रिपोर्ट को चुनिंदा और भ्रामक जानकारी का दुर्भावनापूर्ण मिश्रण बताया। कहा, यह कंपनी को बदनाम करने की साजिश है। रिपोर्ट जारी करने से पहले उनसे किसी तरह का संपर्क नहीं किया गया। यह रिपोर्ट केवल झूठा प्रचार फैलाने के उद्देश्य से तैयार की गई है।

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