कर्ज पर ज्यादा ब्याज के साथ जबरन वसूली कर रहा है माइक्रोफाइनेंस उद्योग

मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा है कि माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र ज्यादा कर्ज, उच्च ब्याज दरों और कठोर वसूली प्रथाओं के दुष्चक्र से ग्रस्त है। हालांकि, छोटे कर्जों ने वंचित वर्गों को औपचारिक वित्तीय सेवाएं देने की उम्मीद जगाई है। एक कार्यक्रम में राव ने कहा, इस उद्योग को किसी भी प्रकार की जबरन या अनैतिक वसूली प्रथाओं से बचना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि वित्तीय सेवाएं जिम्मेदार तरीके से प्रदान की जाएं।

राव ने कहा, हाल की तिमाहियों में कर्ज की ब्याज दरों में कुछ कमी देखी गई है, लेकिन उच्च ब्याज दरों और ऊंचे मार्जिन के क्षेत्र अब भी बने हुए हैं। कम लागत वाले वित्त तक पहुंच रखने वाले ऋणदाता भी बाकी उद्योग की तुलना में काफी अधिक मार्जिन वसूल रहे हैं। कई मामलों में यह बहुत ज्यादा लगता है। डिप्टी गवर्नर ने कहा, ऋणदाताओं को इस क्षेत्र को अधिक लाभ देने वाले व्यवसाय से हटकर एक सहानुभूतिपूर्ण और विकासात्मक नजरिये से देखना चाहिए।

डिप्टी गवर्नर ने कहा, ऋणदाताओं को इस क्षेत्र के लिए पारंपरिक उच्च लाभदायक व्यवसाय से बाहर निकलना चाहिए। कमजोर समुदायों को सशक्त बनाने में माइक्रोफाइनेंस द्वारा निभाई जाने वाली सामाजिक आर्थिक भूमिका की पहचान करनी चाहिए। ज्यादा कर्ज के साथ बुरे और जबरन तरीके से उसकी वसूली दुखद है। विनियमित संस्थाओं को उधारकर्ताओं द्वारा अत्यधिक कर्ज लेने से रोकने के लिए अपने ऋण मूल्यांकन ढांचे को भी बढ़ाना चाहिए।

राव ने कहा, बीमा उत्पादों जैसी वित्तीय सेवाएं गलत तरीके से दी जा रही हैं। वित्तीय समावेशन में वित्तीय सेवाओं का एक समूह शामिल है, लेकिन इसे अज्ञानी ग्राहकों पर अंधाधुंध तरीके से थोपना उनके लिए हानिकारक हो सकता है। इस तरह की गलत बिक्री से उन योजनाओं के प्रति अविश्वास पैदा होगा, जिनका उद्देश्य निम्न आय वाले परिवारों को सुरक्षा प्रदान करना है। रिजर्व बैंक विनियमित संस्थाओं द्वारा वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की गलत बिक्री से निपटने के लिए दिशानिर्देश भी तैयार कर सकता है।

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