बैंकों की बढ़ेगी दिक्कत, उधारी देने की तुलना में जमा में आई भारी गिरावट
मुंबई- आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में दो बार में 0.50 फीसदी की कटौती के बाद बैंकों को जमा के मोर्चे पर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि उधारी की तुलना में जमा में भारी गिरावट आई है। इस समय बैंकों में भरपूर नकदी है, इसलिए इस कमी से कोई समस्या नहीं है, लेकिन आगे बैंकों को दिक्कत आ सकती है।
बैंकों की हालिया जारी वित्त वर्ष 2024-25 के वित्तीय परिणाम के अनुसार, उधारी की मांग तेजी से बढ़ी है। केनरा बैंक की उधारी की वृद्धि दर 11.74 फीसदी रही लेकिन जमा की वृद्धि दर 11 फीसदी ही रही है। एसबीआई की लोन की बढ़त 12.03 फीसदी जबकि जमा में केवल 9.47 फीसदी का इजाफा हुआ है। पंजाब नेशनल बैंक का लोन 13.56 फीसदी बढ़ा है, पर इसका जमा इससे ज्यादा 14.38 फीसदी बढ़ा है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि जमा और कर्ज के बीच का अंतर 45-50 लाख करोड़ रुपये पर लंबे समय से स्थिर है। 18 अप्रैल को समाप्त पखवाड़े में कुल जमा 228.60 लाख करोड़ रुपये जबकि उधारी 181.86 लाख करोड़ रुपये थी। 4 अप्रैल को यह 231.14 लाख करोड़ और 184 लाख करोड़ जबकि 21 मार्च के पखवाड़े में जमा 225.74 लाख करोड़ और उधारी 182.43 लाख करोड़ रुपये रही। 24 जनवरी के पखवाड़े में जमा 221.28 लाख करोड़ और उधारी 178.74 लाख करोड़, 10 जनवरी को जमा 221.50 लाख करोड़ और उधारी 178 लाख करोड़ जबकि 27 दिसंबर के पखवाड़े में जमा 220.63 लाख करोड़ और उधारी 177.42 लाख करोड़ रुपये थी।
आरबीआई ने भले रेपो दर में 0.50 फीसदी घटाया है, पर बैंक जमा की ब्याज दरों में बहुत ज्यादा कमी नहीं किए हैं। अधिकतर बैंक जमा पर मामूली ब्याज घटाए हैं ताकि ग्राहक बैंकों में पैसा रखते रहें। हालांकि, लोन की ब्याज दरों में ज्यादा कमी की गई है। हाल के समय में ग्राहक बैंकों से पैसा निकालकर म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में लगा रहे हैं। यही कारण है कि म्यूचुअल फंड की कुल संपत्तियां अप्रैल में 70 लाख करोड़ के रिकॉर्ड पर पहुंच गईं।
आरबीआई खुले बाजार परिचालन के जरिये लगातार बैंकों में पैसा डाल रहा है। इस महीने 1.20 लाख करोड़ की नकदी डाली गई है। दिसंबर से अब तक 8.57 लाख करोड़ रुपये डाला है। इसी महीने आरबीआई सरकार को 2.50 लाख करोड़ से ज्यादा लाभांश दे सकता है। इससे भी तरलता बढ़ाने में मदद मिलेगी।