सबसे तेजी से बढ़ रहा है भारत, अमेरिकी कंपनियां करें निवेश- आरबीआई

मुंबई- नीतिगत स्थिरता और निश्चितता के कारण भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। ऐसे में अमेरिकी उद्योग जगत को भारत में निवेश करना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता और अस्थिरता में तेजी बावजूद भारत चालू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकता है। चरणबद्ध तरीके से लगभग सभी क्षेत्रों को 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और अमेरिका-भारत सामरिक भागीदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मल्होत्रा ने कहा, ऐसे समय में जब कई उन्नत अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक चुनौतियों और बिगड़ते आर्थिक परिदृश्य का सामना कर रही हैं, भारत मजबूत विकास और स्थिरता प्रदान कर रहा है। इससे यह दीर्घकालिक मूल्य और अवसर की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प बन गया है।

उन्होंने कहा, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत न केवल निवेश के लिए एक गंतव्य है, बल्कि यह समृद्धि में भागीदार भी है। हमारे पास मिलकर भविष्य को आकार देने का अवसर है। न केवल भारत के लिए, बल्कि एक बेहतर विश्व के लिए। मैं आपको इस यात्रा का हिस्सा बनने, सहयोग करने, नवाचार और भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित करता हूं।

गवर्नर ने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय लचीलापन और गतिशीलता का प्रदर्शन किया है। पिछले चार वर्षों (2021-22 से 2024-25) में देश ने औसत वार्षिक विकास दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की है। पिछले दशक (2010 से 2019) में 6.6 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर से भी यह ज्यादा है। हालांकि, 6.5 प्रतिशत की विकास दर भारत की आकांक्षाओं से कम है, फिर भी यह मोटे तौर पर पिछले रुझानों के अनुरूप है।

मल्होत्रा ने कहा, पिछले दस सालों में भारत दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से छलांग लगाकर पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। क्रय शक्ति समता के मामले में भारत पहले ही तीसरे स्थान पर है। गवर्नर ने कहा, नॉमिनल के आधार पर ही सही, हम जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं। हम 2047 में अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेंगे और उस समय विकसित भारत बनने की आकांक्षा रखते हैं।

मल्होत्रा ने कहा, भारत का वित्तीय क्षेत्र मजबूत और जीवंत है, जो विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों की वित्तपोषण जरूरतों को कुशलतापूर्वक पूरा करता है। बैंकिंग क्षेत्र अर्थव्यवस्था की बड़ी वित्तपोषण जरूरतों को पूरा करता रहा है। इसने स्वस्थ खाताबही के साथ लचीलेपन का प्रदर्शन किया है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की मजबूत लाभप्रदता, कम एनपीए, पर्याप्त पूंजी और तरलता बफर से बढ़ी है।

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