1,200 योजनाओं में से 1,100 में डीबीटी लागू, बिचौलियों की भूमिका खत्म

मुंबई- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की 1,200 योजनाओं में से 1,100 में डायरेक्टर बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) सिस्टम के जरिये लोगों तक लाभ पहुंच रहा है। डीबीटी से यह सुनिश्चित होता है कि धनराशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित हो, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो और देरी कम हो।

दिल्ली में शनिवार को 49वें सिविल लेखा दिवस समारोह में मंत्री ने कहा, अब हर चीज के लिए सीधे भुगतान किया जा रहा है। इसमें कोई बिचौलिया नहीं है। किसी अजन्मे बच्चे को भत्ता नहीं मिल रहा है। धनराशि प्राप्त करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के पास बायोमेट्रिक सत्यापित खाता होता है, जिसमें धनराशि ट्रांसफर की जाती है।

सीतारमण ने कहा, सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) ने डीबीटी को सुव्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह प्रणाली सरकार को यह सुनिश्चित करने में सक्षम बनाती है कि धनराशि बिना किसी अनियमितता के सही लाभार्थियों तक पहुंचे। पीएफएमएस वर्तमान में लगभग 60 करोड़ लाभार्थियों को सेवा प्रदान करता है, जिससे यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी वित्तीय प्रबंधन प्रणाली बन गई है। इसके संपूर्ण डिजिटलीकरण फीचर ने वित्तीय प्रशासन को मजबूत किया है और फंड वितरण में जवाबदेही बढ़ाई है।

वित्त मंत्री ने कहा, अपने व्यापक नेटवर्क के साथ यह प्रणाली यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि सरकारी धन का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए और उन लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। जब हम पीएफएमएस एकीकृत प्रणालियों के बारे में बात करते हैं तो सहकारी संघवाद का इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है यदि हम सभी 31 राज्य कोषागारों और 40 लाख से अधिक कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियों को मान्यता दें जो राज्यों में एकीकृत वित्तीय प्रबंधन को सक्षम बनाती हैं।

सीतारमण ने नागरिक लेखा सेवा अधिकारियों से कहा, सरकार के वार्षिक खातों को अधिक सुलभ और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने की दिशा में काम करें। पीएफएमएस के माध्यम से समय पर धनराशि जारी करने से उधार लेने पर नियंत्रण रखने में मदद मिली है और ब्याज लागत में बचत हुई है। आप सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) के परामर्श से इसकी जांच करें कि क्या वार्षिक खातों को अधिक पहुंच योग्य और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाना संभव होगा। क्या नागरिकों के लिए आसानी से विश्लेषण करने और सरल रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं। चूंकि राज्यों के साथ पहले ही काफी डिजिटल एकीकरण हो चुका है, इसलिए सीजीए के पास उपलब्ध डाटा सेट के आधार पर और अधिक शोध किया जा सकता है।

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