अमीरों को देना पड़ सकता है ज्यादा कैपिटल गेन टैक्स, सरकार बना रही योजना 

मुंबई- भारत प्रत्यक्ष कर कानूनों में आमूल-चूल बदलाव की तैयारी कर रहा है, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर अगले साल सत्ता में लौटते हैं तो बढ़ती आय असमानता को कम करने में मदद कर सकें। इसके लिए अमीरों से ज्यादा कैपिटल गेन टैक्स लेने का फैसला किया जा सकता है। 

फिलहाल देश में कमाई पर 30 फीसदी तक का कर लगता है। हालांकि, कुछ परिसंपत्ति वर्गों जैसे कि इक्विटी फंड और शेयर से कमाई पर कर की दरें काफी कम हैं। 

सूत्रों ने कहा कि यह प्रगतिशील नहीं है और इक्विटी के सिद्धांत के खिलाफ है। 2024 में इसे लागू करने के लिए 2019 में वित्त मंत्रालय को प्रस्तुत प्रस्तावों के निर्माण के लिए एक पैनल की भी नियुक्ति हो सकती है। हालांकि कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। 

भारत प्रत्यक्ष कर के बजाय अप्रत्यक्ष करों पर निर्भर है। देश में 2018 और 2022 के बीच प्रत्येक दिन 70 नए करोड़पति बने, बावजूद इसके अर्थशास्त्री कहते हैं कि देश में गरीब व्यक्ति और ज्यादा गरीब होता जा रहा है। ऑक्सफैम इंटरनेशनल का अनुमान है भारत की शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास राष्ट्रीय संपत्ति का 77% हिस्सा है और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, लगभग छह फीसदी लोग आयकर का भुगतान करते हैं। 

दुनिया भर के देश आय में भारी अंतर को कम करना चाहते हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तक अमीर लोगों के लिए उच्च करों के प्रस्ताव पहले ही कर चुके हैं। भारत में नरेंद्र मोदी पर अक्सर इस बात के आरोप लगते रहे हैं कि वे अमीरों के पक्ष में खड़े रहते हैं। 

अपने पहले कार्यकाल के दौरान मोदी ने 2017 में कई अप्रत्यक्ष करों को वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के रूप में बदलकर भारत को एक टैक्स के दायरे में ला दिया। एक नए प्रत्यक्ष कर कोड के साथ, सरकार वाशिंगटन और बीजिंग के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीन से बाहर अपने परिचालन को स्थानांतरित करने की इच्छुक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए जटिल कर प्रणाली को एक सरल कानून के साथ बदलना चाह रही है। 

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