रेलवे का कमाल, 30 यात्रियों के ओढ़ने के बाद कंबल व चादर की होती है धुलाई
मुंबई- भारतीय रेल ने महीने में एक बार कंबल को धोने का प्रावधान किये हुए है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि ट्रेन में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धोया जाता है। एम महीने में 30 यात्री तो इसका इस्तेमाल कर ही लेते हैं।
कांग्रेस के सांसद कुलदीप इंदौरा ने कंबल की धुलाई और साफ-सफाई को लेकर रेल मंत्री से सवाल पूछा था। इसके लिखित जवाब में रेल मंत्री वैष्णव ने बताया लोकसभा में बताया कि महीने में कम से कम एक बार कंबल की धुलाई अवश्य की जाती है। ट्रेन के एयरकंडीशंड क्लास में बेड रोल रेलवे की तरफ से दिया जाता है। इसमें गंदे चादरों और कंबलों की सप्लाई की अक्सर खबर पढ़ने को मिलती है। चादर तो हर इस्तेमाल के बाद जरूर धो दी जाती है, लेकिन कंबल तो समेट पर फिर से अगले पैसेंजर को दे दिया जाता है।
एक ओवरनाइट ट्रेन में एक महीने के दौरान 30 यात्री तो आराम से इसे इस्तेमाल कर ही लेते हैं। वैष्णव ने संसद सदस्यों को यह भी बताया कि बेड रोल में कंबल के साथ दो चादरों की सप्लाई की जाती है। एक चादर बर्थ पर बिछाने के लिए होता है जबकि दूसरा चादर कंबल पर कवर के रूप में उपयोग के लिए।
रेलवे के अधिकारी बताते हैं दूसरा चादर हमेशा कंबल से चिपका लेना चाहिए और चादर वाली तरफ से ओढ़ना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि दूसरे यात्रियों का उपयोग किया गया कंबल आपके शरीर से सीधे संपर्क में नहीं आए। जवाब के मुताबिक वर्तमान निर्देशों के अनुसार भारतीय रेलवे में प्रयुक्त कंबल हल्के होते हैं। इन्हें धोना आसान होता है तथा ये यात्रियों को अच्छा इन्सुलेशन प्रदान करते हैं, जिससे यात्रा का अनुभव आरामदायक होता है।
रेल मंत्री वैष्णव के जवाब में कहा कि धुले हुए लिनेन की गुणवत्ता की जांच के लिए व्हाइटो-मीटर का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि अब चादरों का जीवन काल (Service Life) कम कर दिया गया है। इससे जल्दी ही अब चादरों को चलन से बाहर कर दिया जाता है। इससे नई चादरों को तेजी से शामिल किया जा रहा है।